निजी क्षेत्र के बड़ी कंपनियां सेब खरीदने के लिए सीधे हिमाचल प्रदेश के किसानों से संपर्क कर रही हैं। ऐसे में किसानों पर भी इस बात का दबाव बढ़ गया है कि उत्तम गुणवत्ता वाले सेब का उत्पादन करें।
सीधे किसानों से सेब खरीदने वाली कंपनियों में अदानी, मदर डेयरी, देव भूमि कोल्ड चेन ग्रुप शामिल हैं। वर्तमान में सेब उत्पादक गुणवत्ता से ज्यादा मात्रा पर ध्यान दे रहे हैं और उत्पाद को परंपरागत मंडियों में बेच रहे हैं। जहां सेब की गुणवत्ता जांचने का कोई मानक तय नहीं है।
लेकिन जब निजी क्षेत्र की कंपनियां सीधे सेब की खरीदारी करने लगेंगी, तो उत्पादकों को गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखना होगा, क्योंकि यह तय है कि कंपनियां उत्तम किस्म के सेबों की खरीदारी में ही रुचि लेंगी। सोलन स्थित वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय के बागवानी विशेषज्ञ एस.पी. भारद्वाज के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर किसान पैदावार की मात्रा बढ़ाने में जुटे रहते हैं, गुणवत्ता से उनका कोई लेना-देना नहीं रहता है।
उनका मानना है कि अधिक पैदावार होगी, तो उनका मुनाफा ज्यादा होगा। भारद्वाज का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक मुख्यत: ग्रॉफ्टेट किस्म (कलम किस्म) का उत्पादन करते हैं, जबकि दुनिया के अन्य देशों में सेब उत्पादन के लिए क्लोन किस्म का इस्तेमाल किया जाता है।
उनके मुताबिक, क्लोन किस्म से सेब की गुणवत्ता जहां बेहतर रहती है, वहीं पैदावार भी अच्छा होता है। यही वजह है कि किसान इस किस्म को अपना कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कुछ जागरूक किसानों ने इस तकनीक से सेब की खेती शुरू की है, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है।
प्रगतिशील किसान संघ के अध्यक्ष हरि चांद का कहना है कि निजी कंपनियां किसानों से सीधे खरीदारी में रुचि ले रही हैं। इससे किसानों को उनके उत्पाद की सही कीमत मिल रही है, क्योंकि पहले बिचौलिए किसानों को उपज की सही कीमत नहीं देते थे। हरी चांद का कहना है कि अगर किसान सेब की गुणवत्ता पर ध्यान दें, तो उन्हें उपज से और मुनाफा होने की संभावना है।
किसानों पर दबाव
किसानों से सीधे सेब खरीदने हिमाचल प्रदेश पहुंच रही हैं निजी कंपनियां
किसानों को अब देना होगा फसल की गुणवत्ता पर भी ध्यान
सीधे खरीदारी से किसानों को मिलेगी उपज की सही कीमत