महंगाई पर अंकुश लगाने को तत्पर सरकार ने स्टील कंपनियों द्वारा स्टील की कीमत बढाने पर उन्हें चेताया कि वो मुनाफाखोरी के चक्कर में न पड़ें।
सरकार ने कहा कि यदि महंगाई रोकने को उठाए गए वित्तीय कदम उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने में नाकाम रहते हैं तो उसे मजबूरन स्टील को आवश्यक सामानों की सूची में शामिल करना पड़ेगा। ये बात स्टील और रासायनिक मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को दिल्ली में कही।
पासवान के मुताबिक वह पहले से ही स्टील की कीमत पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक गठित करने की मांग करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही दवा उद्योग में दवाओं के दाम को नियंत्रित करने और इसे मुनाफाखोरों से बचाने के लिए कई उपाय किए हैं। संयोग से 29 मार्च को समाप्त हुए सप्प्ताह में लोहे और स्टील की कीमत 5.6 फीसदी बढ़ चुकी है।
ऐसी हालात में पासवान ने कहा है कि जब लागत खर्च आसमान को छू रहे हों तब सरकार कंपनियों पर अपनी लागत कम करने और घाटे पर उत्पादन करने का दबाव नहीं डालेगी। स्टील मंत्री के मुताबिक हम एक समिति का गठन कर रहे हैं जो यह देखेगी कि क्या स्टील के दाम और उसकी उत्पादन लागत में अनुरूपता है या नहीं।
यदि यह निश्चित हो गया कि इसकी उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य में काफी फर्कहै तब स्टील को आवश्यक सामानों की फेहरिश्त में डालने और इसके मूल्य को नियंत्रित करने केसिवा कोई और उपाय नहीं रह जाएगा।
पासवान ने तो यह भी कहा कि वह इस मामले में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे हैं ताकि 23 से 49 फीसदी तक बढ़ चुके स्टील कीमत पर लगाम लग सके। इसके लिए उन्होंने मनमोहन सिंह को खत भी लिखा है जिसमें मांग की गई है कि स्टील पर उत्पाद कर को घटाकर 14 से 8 फीसदी कर दिया जाए।
साथ ही 14 फीसदी की प्रतिपूर्ति शुल्क खत्म कर दी जाए। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए निर्यात पर कठोर अंकुश लगाने की भी बात पासवान ने कही है। इस्पात मंत्री ने कहा कि सेल को और खनिज की जरूरत है पर सरकार को चाहिए कि स्टील उत्पादन के घंटे को बढ़ाया जाए।