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प्लैटिनम में उफान जारी रहने की उम्मीद

Last Updated- December 07, 2022 | 1:45 AM IST

दुनिया के 80 फीसदी प्लैटिनम का उत्पादन करने वाले दक्षिण अफ्रीका में बिजली की किल्लत के चलते प्लैटिनम के भाव आसमान को छू रहे हैं।


कीमती धातुओं के बारे में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में विश्व की तीसरी बड़ी प्लैटिनम उत्पादक कंपनी लॉनमिन नियंत्रित खदानों में श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के चलते इसका वायदा भाव पिछले तीन महीनों के शिखर पर पहुंच गया है।

मालूम हो कि तीन माह पहले प्लैटिनम का भाव अब तक के अपने सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा था। खदान में विस्फोट होने और विद्युत उत्पादन में बाधा पड़ने से विश्व के इस सबसे बड़े प्लैटिनम उत्पादक को एक बार फिर अपने उत्पादन में कटौती करने को मजबूर होना पड़ रहा है। जाहिर है कि इस साल इस देश के उत्पादन में कमी होने के पूरे आसार हैं।

लंदन स्थित विश्व की शीर्ष प्लैटिनम वितरक और रिफाइनर जॉनसन मैथै द्वारा प्लैटिनम और इसी तरह की अन्य धातुओं जैसे पैलेडियम और रोडियम के लिएजारी किए जाने वाले वार्षिक पूर्वानुमान का सभी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह इंतजार इसलिए भी किया जा रहा है कि इससे प्लैटिनम की बढ़ती मांग और आपूर्ति के साथ-साथ भविष्य में इसकी कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव का अंदाजा मिल जाता है।

पिछले कुछ दिनों की बाजार की गतिविधियों को देख कर अंदाजा लग रहा है कि प्लैटिनम की आपूर्ति में ठोस कमी के चलते इसकी कीमत बढ़कर 2500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि खदान में हुए विस्फोट का इसकी आपूर्ति पर पड़ने वाले असर को नजरदअंदाज किया जा रहा है।

ऑटो-कैटेलिटिक कंवर्टर निर्माता समेत कई औद्योगिक इकाइयों की ओर से जबरदस्त मांग के बीच आपूर्ति में कमी आने की वजह से प्लैटिनम के भाव में तेजी का रुख बना हुआ है। 2007 में इसकी मांग में 8.6 फीसदी की वृद्धि हुई और यह बढ़कर 70.3 लाख औंस तक पहुंच गया। 2006 में जहां इसकी आपूर्ति 3.55 लाख औंस तक सरप्लस थी वहीं 2007 में इसकी आपूर्ति मांग की तुलना में 4.80 लाख औंस तक कम हो गयी थी।

हालांकि प्लैटिनम हमेशा से ही अमीरों और फैशनपरस्त लोगों की पसंद रहा है। पर पिछले साल इसकी कीमत में 35 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने से इसकी मांग में 3.3 फीसदी तक की कमी हो गयी है। चीन जहां दुनिया के कुल प्लैटिनम की आधी मांग है, में भी इसकी मांग में पिछले साल कमी आयी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले दो महीने में ही इसके भाव में 40 फीसदी की बढ़त हो जाने से चीन समेत सभी सभी देशों में प्लैटिनम जैसी कीमती धातुओं की चमक फीकी पड़ती जा रही है।

जॉनसन मैथी की रिपोर्ट के अनुसार, आपूर्ति की समस्या के अलावे डॉलर के कमजोर होने और सोने समेत दूसरे जिंसों के मजबूत होने से भी प्लैटिनम की कीमत को मजबूती मिली है। आपूर्ति में कमी को ईटीएफ की ओर से होने वाली जोरदार खरीदारी से भी बल मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी खरीदारी से बाजार की तरलता भी कम हो रही है। इसका परिणाम अस्थिरता और कीमतों में वृद्धि के रूप में भी देखने को मिल रहा है।

ईटीएफ पिछले साल जहां सबसे बड़े निवेशक के रूप में उभरा था, वहीं 2006 में यह बड़ा बिक्रेता था।  इस साल का अनुमान यह है कि ईटीएफ का बाजार में निवेश पहले के मुकाबले तेजी से बढ़ेगा। महंगाई की वजह से प्लैटिनम की मांग घटी है पर ऑटोमोबाइल उद्योग में प्रदूषण नियंत्रित करने वाले उपकरणों में इसके इस्तेमाल होने से प्लैटिनम कारोबार की फिर से चांदी हो गई है।

मालूम हो कि गाड़ियों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कैटेलिटिक कन्वर्टर्स का उपयोग किया जा रहा है जिसमें 4 ग्राम तक प्लैटिनम का इस्तेमाल होता है। इधर आपूर्ति में व्यवधान की आशंकाओं के बीच कीमत बढ़ने और इसकी ऊंची दर पर खरीदारी से बचने के लिए शीर्ष कन्वर्टर निर्माताओं ने प्लैटिनम का भंडार बनाना शुरू कर दिया है।

जानकारों का मानना है कि यदि कच्चे तेल की कीमत लगातार 130 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना रहता है तो सोने समेत प्लैटिनम की कीमतें भी अपने आप ही ऊपर चलती जाएंगी। सिंगापुर की फिलिप फ्यूचर्स का कहना है कि तकनीकी तौर पर देखने से ऐसा मालूम पड़ता है कि सोने और प्लैटिनम जैसी धातुओं की कीमतों में अभी उफान जारी रहेगा। 

First Published - May 27, 2008 | 12:09 AM IST

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