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खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए मुफीद नहीं आलू

Last Updated- December 06, 2022 | 11:44 PM IST

उत्तर प्रदेश के किसान देश के आलू उत्पादन का तकरीबन 40 फीसदी उपजाते हैं। लेकिन यहां का आलू खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों के काम का नहीं है।


बताया जाता है कि यहां के आलू में 80 फीसदी पानी होता है। इस साल प्रदेश में 1.3 करोड़ टन आलू की पैदावार हुई है। इस साल के आखिर तक खरीदार के अभाव में 50 फीसदी आलू के बेकार चले जाने का अनुमान है। इसमें से 15 फीसदी को अगली फसल के लिए बीज के तौर पर रखा जाएगा जबकि बाकी बचा आलू खाने के काम आएगा।


आगरा के कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदेश के कुल आलू उत्पादन का 1.5 फीसदी खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों के काम आएगा। उनका कहना है कि ये कंपनियां जिस किस्म का आलू चाहती हैं, किसानों को उसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। गौरतलब है कि ये कंपनियां उस किस्म का आलू चाहती हैं जिसमें 65 से 70 फीसदी पानी होता है।


इन वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को इस दिशा में सही जानकारी देने की जरूरत है। जब किसान इस बारे में जागरूक हो जाएंगे तो प्रदेश में इन किस्मों को उगाक र किसान की आय में अधिक वृद्धि होगी। राज्य सरकार 10 करोड़ रुपये की लागत से आगरा के सिंगना गांव में आलू बीज फार्म योजना शुरू करने जा रही है।


इस योजना के बारे मे बताते हुए राज्य के बागवानी मंत्री सुमन कहते हैं कि बीज फार्म को 300 एकड़ में बनाने की योजना है और इसके लिए बेहतरीन वैज्ञानिक प्रतिभाओं को जुटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम आलू की बेहतर किस्म विकसित करने में जुटे हैं जो किसानों का मुनाफा बढ़ाने में मददगार साबित हो। सुमन के मुताबिक इस साल 10 फीसदी कम बुवाई होने के बावजूद भी आलू की पैदावार में 600 टन की बढ़ोतरी हुई है।


इस बाबत सुमन का कहना है कि आलू के बुवाई क्षेत्र में कमी अच्छा संकेत नहीं है। किसान आलू की बजाय दूसरी नकदी फसलों फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस रुझान को रोकने की जरूरत है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आलू की खेती से उनका मुनाफा बढ़ना चाहिए। उनका कहना है कि आगरा क्षेत्र को राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 13.5 करोड़ रुपये आवंटित किए गये हैं।

First Published - May 15, 2008 | 11:42 PM IST

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