बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बुधवार को इंडिया एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) को औपचारिक रूप से हरी झंडी दिखा दी।
आईईएक्स ने हालांकि 27 जून से काम करना शुरू कर दिया है। इस मौके पर शिंदे ने कहा कि बिजली की मांग व आपूर्ति की खाई को भरने के लिए इंडिया एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) की जरूरत है। बिजली के इस कारोबार से देश में न तो बिजली का संकट पैदा होगा और न ही इसकी कीमत में बढ़ोतरी होगी।
14 जुलाई को एक्सचेंज ने 7383 मेगावॉट का कारोबार किया। आईईएक्स को फाइनेंशियल टेक्नॉलजी इंडिया लिमिटेड व पपीटीसी की मदद मिल रही है। केंद्रीय बिजली नियामक आयोग के निर्देश में एक्सचेंज का गठन किया गया है।
कैसे होगा कारोबार
जिस बिजली कंपनी के पास जरूरत से ज्यादा बिजली होगी, वह एक्सचेंज के जरिए उसे जरूरतमंदों को बेच सकेगा। जैसे बिजली कंपनी एनडीपीएल के पास रात के वक्त बिजली की अधिकता हो जाती है तो वह उस समय के लिए उस अतिरिक्त बिजली को बेच सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अधिक कीमत मिलने पर कोई बिजली कंपनी अपने इलाके को अंधेरे में रखकर बिजली की बिक्री करेगी।
इन चीजों के लिए नियंत्रण के लिए एक समिति का गठन किया गया है। किसी भी बिजली कंपनी को इस कारोबार में हिस्सा लेने के लिए एक्सचेंज से जुड़ी निगरानी समिति से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होगा और हर तीन महीने में उसे रिन्यू कराना होगा। फिलहाल बिजली उत्पादक मलाना पावर को छोड़ बिजली बेचने वाली कंपनी ही इस कारोबार में भागीदारी कर रही है। पूरे देश में इस एक्सचेंज के माध्यम से बिजली का कारोबार होगा। बिजली कंपनियों को गोलबंद होकर ऊर्जा की बिक्री कीमत ऊंची करने की छूट नहीं होगी। बिजली की खरीद-फरोख्त ऑनलाइन होगी।
किसकी दिलचस्पी
आईईएक्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जयंत देव के मुताबिक कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्य ऊर्जा के इस कारोबार में दिलचस्पी ले रहे हैं। इस माध्यम से ये राज्य अपने यहां होने वाली बिजली की कमी को पूरा कर सकते हैं। राज्यों को इस एक्सचेंज के जरिए बिजली की आपूर्ति के लिए अपने तार को यहां के ट्रांसमिशन से जोड़ना होगा।
विभिन्न राज्यों के बिजली बोर्ड या बिजली कंपनियों पर राज्य सरकार भी निगरानी रखेगी। देव का यह भी मानना है कि इस कारोबार को रफ्तार पकड़ने व बिजली उत्पादकों के इस व्यापार में शामिल होने में पांच साल लग जाएंगे। उन्होंने बताया कि कोई भी बिजली उत्पादक या कंपनी अपनी आधी बिजली की बिक्री कर सकती है।