महंगाई के लिए जिम्मेदार माने जा रहे वायदा बाजार को अभिजीत सेन समिति ने इस आरोप से क्लीन चिट दे दी है।
समिति का मानना है कि वायदा बाजार की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी के कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं। हालांकि सरकार आवश्यक वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने संबंधी निर्णय के लिए समिति की रपट का फिलहाल इंतजार कर रही है।
समिति की ड्राफ्ट रपट में कहा गया है- अध्ययन में साफ तौर पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका है कि वायदा कारोबार की वजह से कीमतें बढ़ी हैं या कृषि उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव आया है। कृषि उत्पादों की कीमतों पर वायदा कारोबार के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
इधर, वायदा कारोबारी भी खुद को अब सुरक्षित मान रहे हैं। उनका दावा है कि अभिजीत सेन कमेटी के सभी सदस्यों ने वायदा कारोबार के पक्ष में उन्हें अपनी रिपोर्ट दी है। एनसीडीईएक्स के पदाधिकारी ने बताया कि सेन कमेटी का गठन एक साल तीन महीने पहले किया गया था। लेकिन कमेटी ने अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। इस कमेटी में अभिजीत सेन के अलावा शरद जोशी, प्रकाश आप्टे, गोपाल नायक व केवल राम है।
सूत्रों के मुताबिक इन सबों ने सेन को अपनी-अपनी राय सौंप दी है। एनसीडीईएक्स के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि इन सदस्यों ने सेन को साफ तौर पर कह दिया है कि अगर उनकी राय में घालमेल करने की कोशिश की गयी तो वे अंतिम रिपोर्ट पर दस्तखत नहीं करेंगे।
जोशी सांसद हैं, आप्टे आईआईएम अहमदाबाद के शिक्षक तो नायक आईआईएम बंगलुरु में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। वही राम वायदा बाजार आयोग के सदस्य हैं। वायदा कारोबारियों के मुताबिक अभिजीत सेन से उनकी भी मुलाकात हुई थी और तब वायदा कारोबार के प्रति उनका रुख सकारात्मक नजर आ रहा था। पदाधिकारियों का कहना है कि वायदा कारोबार भविष्य की कीमत की ओर इशारा करता है। उसके रुख को जाहिर करता है न कि कीमत को बढ़ाने का काम करता है।