भारतीय कमोडिटी की निर्यात मांग में सुस्ती देखने को मिल रही है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती महीने में प्रमुख कमोडिटी के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। इन कमोडिटी का निर्यात घटने की मुख्य वजह गैर बासमती और गेहूं के निर्यात पर अंकुश लागू होना है। हालांकि बासमती चावल की मांग अब भी मजबूत बनी हुई है और चालू वित्त वर्ष के पहले महीने में इसका निर्यात बढ़ा है।
वर्ष 2024-25 के अप्रैल महीने में कितना हुआ प्रमुख कमोडिटी का निर्यात?
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 के पहले महीने यानी अप्रैल में 210.10 करोड़ डॉलर मूल्य की प्रमुख कमोडिटी का निर्यात हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल महीने में 224.5 करोड़ डॉलर मूल्य की प्रमुख कमोडिटी निर्यात हुई थी। इस तरह इस साल अप्रैल महीने में इन कमोडिटी के निर्यात में 6.39 फीसदी कमी दर्ज की गई। इस कमी की प्रमुख वजह गैर बासमती चावल के निर्यात में 21 फीसदी गिरावट आना है। इसके साथ ही ताजे फल-सब्जी का निर्यात करीब 20 फीसदी घटकर 16.2 करोड़ डॉलर, भैंस के मांस (buffalo meat) का निर्यात 8.49 फीसदी घटकर 25.2 करोड़ डॉलर रह गया। दाल और मूंगफली का निर्यात भी घटा है। अनाजों के कुल निर्यात में करीब 8.5 फीसदी गिरावट आई है।
बासमती चावल का निर्यात बढ़ा
प्रमुख कमोडिटी के कुल निर्यात में भले ही कमी आई हो। लेकिन भारतीय बासमती की विदेशों में मांग इस वित्त वर्ष भी खूब बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2024-25 के पहले महीने अप्रैल में 53.4 करोड़ डॉलर मूल्य का 4,99,298 टन बासमती चावल निर्यात हुआ। पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल में 47 करोड़ डॉलर मूल्य का 4,25,427 टन बासमती चावल निर्यात हुआ था। इस तरह इस साल अप्रैल में बासमती चावल के निर्यात में मूल्य के लिहाज से 13.63 फीसदी और मात्रा के लिहाज से 17.36 फीसदी इजाफा हुआ। बासमती के उलट गैर बासमती चावल का निर्यात मूल्य के लिहाज से 21.18 फीसदी घटकर 41.8 करोड़ डॉलर रह गया। मात्रा के लिहाज इस साल अप्रैल में 8,78,467 टन गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ, जो पिछले साल अप्रैल में निर्यात हुए 14,19,200 टन से करीब 38 फीसदी कम है।