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तंबाकू की खेती से तौबा करने के लिए प्रस्ताव तैयार

Last Updated- December 08, 2022 | 9:42 AM IST

तंबाकू उगाने वाले किसानों को तंबाकू छोड़कर दूसरी फसल उगाने में मदद करने की खातिर तंबाकू बोर्ड जल्दी ही वाणिज्य मंत्रालय के पास एक प्रस्ताव पेश करेगा।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से किए गए वादे को निभाने के लिए 125 करोड़ रुपये का पुनर्वास प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि तंबाकू बोर्ड अगले 10 दिनों में यह प्रस्ताव मंत्रालय के सामने पेश कर देगा।

तंबाकू बोर्ड के अध्यक्ष जे. सुरेश बाबू ने कहा कि प्रस्ताव के तहत तंबाकू की फसल छोड़ दूसरी फसल का रुख करने के लिए हर चुनिंदा बार्न्स को तीन किस्तों में कुल पांच लाख रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस बाबत कुल 2500 बार्न्स की पहचान की गई है।

जहां तंबाकू केपत्तों की प्रोसेसिंग होती है, उसे बार्न्स कहा जाता है। ऐसे जगह तैयार तंबाकू मुख्य रूप से सिगरेट में इस्तेमाल की जाती है। पांच लाख की रकम को तीन साल में तीन किस्तों में देने की योजना इसलिए बनाई गई है ताकि किसान पूरी तरह इस फसल के उत्पादन से दूर हो सके।

उन्होंने कहा कि अगर एक बार पूरी रकम दे दी जाएगी तो फिर इन किसानों के तंबाकू की तरफ मुड़ जाने का खतरा बरकरार रहेगा। सुरेश बाबू ने कहा कि पहली किस्त दिए जाने के बाद से किसान पर पूरी निगरानी रखी जाएगी।

साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान दोबारा तंबाकू न उगा सके और पैकेज पाने के लिए किसानों की यही अर्हता होगी। वाणिज्य मंत्रालय से पास होने के बाद ही इसकी फंडिंग के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।

भारत ने 2003 में डब्ल्यूएचओ की तंबाकू निरोधक पहल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया था। इस लिहाज से किसानों से लिए बनाए गए इस पैकेज प्रस्ताव का महत्व बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ के प्रस्ताव के तहत 10-15 सालों में भारत को तंबाकू की सप्लाई में 50 फीसदी तक की कटौती करनी होगी।

वाणिज्य मंत्रालय ने इस बाबत तंबाकू बोर्ड को रोडमैप तैयार करने का जिम्मा सौंपा था। मंत्रालय ने कहा था कि बोर्ड वैसे किसानों के पुनर्वास पैकेज के बारे में प्रस्ताव तैयार करे, जिनकी जीविका तंबाकू की खेती से ही चलती है।

तंबाकू उगाने वाले किसानों में से कुल 96865 किसान पंजीकृत हैं, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के हैं। बोर्ड चाहता है कि साल 2020 तक 50 हजार किसानों को प्रस्ताव के दायरे में लाया जाए।

First Published - December 16, 2008 | 10:11 PM IST

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