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बारिश बनेगी फसलों का अमृत

Last Updated- December 09, 2022 | 10:21 PM IST

देश के उत्तर पश्चिमी भागों में हल्की बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। इस इलाके की रबी की फसल को दो दिनों की बूंदाबांदी का खासा लाभ मिलेगा और इससे फसलों के उत्पादन में सुधार का अनुमान है।


इस मौसम में हुई झीनी झीनी बारिश का असर गेहूं, जौ, तिलहन, दाल और खासकर चने की खड़ी फसल बेहतर प्रभाव पड़ेगा। चालू रबी के मौसम के बढ़िया रहने के कारण कृषि मंत्रालय रिकॉर्ड उत्पादन के एक बेहतर संकेत के तौर पर देख रहा है।

मंत्रालय को उम्मीद है कि इस बार पिछले साल के उच्चतम उत्पादन 10.97 करोड़ टन उत्पादन का आंक ड़ा भी पार कर जाएगा। यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार गेहूं उत्पादन का 7.84 करोड़ टन का पिछले साल का उत्पादन रिकार्ड भी टूट जाएगा।

इसके अलावा आगामी मार्च महीने में गेहूं का स्टॉक 1 करोड़ टन होगा, जो वर्तमान में 40 लाख टन रखा जाता है। अगर बेहतरीन उत्पादन का आंकड़ा सही साबित होता है तो खाद्यान्न के चलते महंगाई में जो बढ़ोतरी हुई थी, उस पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि फरवरी और मार्च महीने में तापमान गेहूं के उत्पादन के लिहाज से बहुत अहम होता है। अगर सबकुछ ठीक जाता है तो देश में गेहूं की उत्पादकता तुलनात्मक रूप से बहुत बेहतरीन रहेगी।

बहरहाल मध्य भारत, खासकर मध्य प्रदेश में जहां रबी की अन्य फसलों के अलावा बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती होती है, वहां अभी भी किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

अगर मानसून के बाद कुल बारिश की बात करें तो 1 अक्टूबर के बाद देश के 36 मौसम संबंधी इलाकों में से 30 इलाकों में सामान्य से कम बारिश हुई है।

उत्तर पश्चिम भारत में, जो मुख्य कृषि क्षेत्र है, वहां बारिश का अंतर सामान्य की तुलना में 33 प्रतिशत और मध्य भारत में 68 प्रतिशत हुई है।

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने भविष्यवाणी की है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सोमवार तक और बारिश हो सकती है। इसके बाद मौसम सूखा रहेगा। पश्चिमोत्तर भारत में बारिश और बर्फबारी का भी अनुमान लगाया गया है।

कृषि मंत्रालय को राज्यों से 15 जनवरी तक के प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक चालू रबी सत्र में पिछले साल की तुलना में ज्यादा हिस्से पर फसलें लगाई गई हैं। गेहूं की फसल 2.74 करोड़ हेक्टेयर है जो पिछले साल के 2.72 करोड़ हेक्टेयर से मामूली ज्यादा है।

इस फसल की बुआई खत्म हो गई है, इसलिए बुआई के कुल क्षेत्रफल का अंतिम आंकड़ा भी आने वाला है। इस बार किसानों ने गेहूं की खेती की ओर रुख किया है, क्योंकि उन्हें अनुमान है कि पिछले साल के 1000 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में उन्हें ज्यादा दाम मिलेंगे।

हालांकि इस सिलसिले में कृषि मंत्रालय के प्रस्तावों को सरकार की मंजूरी मिलना बाकी है। अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो वहां गेहूं के क्षेत्रफल में करीब 5 प्रतिशत की कमी आई है, जहां सामान्यतया प्रीमियम क्वालिटी का गेहूं होता है।

वहां पर होने वाले डुरुम गेहूं से पास्ता उत्पाद बनता है, जिस पर बारिश न होने का प्रभाव है। इसी कारण से गुजरात में भी कम क्षेत्रफल में गेहूं की बुआई हुई। खाद्य मंत्रालय के मुताबिक अगले सत्र में गेहूं का आधिकारिक स्टॉक संतोषजनक रहेगा।

सेंट्रल ग्रेन पूल करीब 1 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जब तक 1 अप्रैल को नई गेहूं की फसल नहीं आ जाती। यह बफर के 40 लाख टन के सामान्य मानकों से 60 लाख टन ज्यादा है।

मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि रणनीतिक तौर पर सरकार ने 30 लाख टन अतिरिक्त स्टॉक रखने की योजना बनाई है।

First Published - January 18, 2009 | 11:06 PM IST

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