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मंदी से नहीं फीका पड़ेगा पेंट

Last Updated- December 10, 2022 | 12:25 AM IST

भारतीय पेंट उद्योग का वर्तमान कारोबार 16,000 करोड़ रुपये है और यह 10-12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि 2012-13 तक इसका कारोबार बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा।
उद्योग जगत से जुड़े प्रतिनिधियों के मुताबिक इसमें बढ़त की प्रमुख वजह साजसाा और औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ती मांग है। भारतीय पेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधि एन के भाटिया ने कहा कि 16,000 करोड़ रुपये के कुल कारोबार में 4 बड़े कारोबारियों की हिस्सेदारी करीब 49 प्रतिशत है, जबकि वे कंपनियां जिनकी कुल संपत्ति 100 करोड़ के करीब है, उनकी हिस्सेदारी 15-16 प्रतिशत है।
इसके अलावा इस क्षेत्र से करीब 25,00 एसएमई जुड़े हुए हैं, जिनकी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पेंट का 78 प्रतिशत कारोबार शहरी इलाकों में और 22 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में होता है। अगर खपत के लिहाज से देखें तो 6-7 साल पहले प्रति व्यक्ति पेंट की खपत 0.6 से 0.7 किलोग्राम थी, वह अब बढ़कर 1.99 किलोग्राम हो गई है।
भाटिया ने कहा कि इसके बावजूद भारत में खपत अभी भी बहुत कम है। गौरतलब है कि एशिया में प्रति व्यक्ति खपत 4-4.5 किलोग्राम है, जबकि यूरोपीय देशों में यह 24 किलोग्राम है। एशियन पेंट्स के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आश्विन दानी ने कहा कि जीडीपी में 10 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है, और पेंट उद्योग में बढ़ोतरी इस दौरान 13 प्रतिशत रही है।
अगर वर्तमान वृध्दि दर के लिहाज से देखें तो पेंट उद्योग की बढ़त 7-8 प्रतिशत से कम नहीं रहेगी। वर्तमान मंदी के बारे में दानी ने कहा कि  हाउसिंग क्षेत्र स्थिति उतनी खराब नहीं है। उन्होंने कहा कि हाउसिंग क्षेत्र में कुल 75 प्रतिशत खपत पुराने मकानों की पुताई में होती है, जबकि केवल 25 प्रतिशत ही नए मकानों में प्रयोग में लाया जाता है।
और हाउसिंग क्षेत्र में आई मंदी का असर पुराने मकानों की पुताई पर तो नहीं पड़ने वाला है।

First Published - February 8, 2009 | 11:07 PM IST

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