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गैर-बासमती चावल निर्यात पाबंदी पर नरमी

Last Updated- December 07, 2022 | 7:48 PM IST

अंतरराष्ट्रीय उत्पादकों द्वारा चावल के निर्यात में नरमी का रुख का अख्तयार करते देख भारत ने भी गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाई गई पाबंदी के मामले में नरमी दिखाई है और अगले महीने से प्रीमियम किस्म के चावल की लदाई की अनुमति दे दी है।


वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशक ने बुधवार को एक अधिसूचना जारी करते हुए 15 अक्टूबर से गैर बासमती चावल की किस्म पूसा -1121 के निर्यात की अधिसूचना जारी कर दी। उसने न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,200 डॉलर (48,000 रुपये) प्रति टन भी निश्चित कर दिया।

वाणिज्य मंत्रालय के निर्णय की आलोचना करते हुए अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष विजय सेठिया ने कहा, ‘यह (अधिसूचना) बिल्कुल गलत है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि पूसा-1121 को गैर बासमती चावल घोषित करके वाणिज्य मंत्रालय ने प्रीमियम किस्म के मूल्य को कम करके आंका है।

सेठिया ने आशंका व्यक्त की कि अगर इस चावल को गैर बासमती ही समझा जाता रहा तो विदेशी खरीददार वह कीमत नहीं देंगे जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूसा-1121 किस्म को मिलता रहा है। चावल निर्यातकों ने आज उस अधिसूचना को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है जो पूसा -1121 किस्म की विदेशों में बिक्री की अनुमति देता है।

उनका कहना है कि गैर बासमती के श्रेणी में इसके शिपमेंट (लदान) को अनुमति प्रदान करना प्रीमियम क्वालिटी वाले चावल की कीमत को घटाता है। सेठिया इस बात को लेकर भी चकित हैं कि सरकार ने पूसा-1121 किस्म के चावल का एमईपी बासमती चावल से अधिक कैसे तय कर दिया। बासमती का एमईपी 1,000 डॉलर प्रति टन है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार ने 8,000 रुपये प्रति टन का निर्यात शुल्क भी लगा दिया है।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक पहले ही इस बात से सहमत हैं कि पूसा-1121 बासमती चावल है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने इस वर्ष अप्रैल में एक अधिसूचना जारी की है जिसमें पूसा-1121 को बासमती घोषित किया गया है।

उद्योग सूत्रों ने कहा कि निर्यातक पिछले तीन वर्षो से बासमती चावल के रूप में पूसा-1121 किस्म की लदान करते रहे हैं। अप्रैल में गैर बासमती चावल पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद निर्यातक पंजाब सरकार की अधिसूचना के आधार पर विदेशी बाजारों में पूसा-1121 की बिक्री करते रहे हैं।

हरियाणा में बासमती की खेती के रकबे में पूसा-1121 की प्रतिशत हिस्सेदारी 70 की है जबकि पंजाब में यह प्रतिशतता 55-60 है। हरियाणा के चावल मिलों के मालिक पिछले 13 दिनों से हड़ताल पर हैं जिससे सरकारी खरीद का कार्यक्रम विलंबित हो गया है। उनकी मांगों में से एक पूसा-1121 को बासमती घोषित किया जाना भी है।

पूसा 1121 में बासमती के सभी गुण हैं। चावल 8 मिमी का हाता है जो पकने के बाद फैल कर 18 मिमी का हो जाता है। इसे भारतीय कृषि शोध संस्थान, पूसा में साल 2003 में विकसित किया गया था। हालांकि, बासमती की वर्तमान परिभाषा के अनुसार, किसी भी वैसे हाइब्रिड किस्म को बासमती कहा जाता है जिसमें कम से कम किसी एक पारंपरिक किस्म का जीन हो।

पूसा-1121 इस प्रावधान के तहत बासमती कहलाने के योग्य नहीं है। बासमती के पारंपरिक किस्मों में तरौरी, देहरादून, रनबीर, 217, 370,386 और दो हाइब्रिड किस्में शामिल हैं।

First Published - September 4, 2008 | 10:42 PM IST

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