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संशोधित विधेयक पर होगा विचार

Last Updated- December 05, 2022 | 9:18 PM IST

वायदा बाजार आयोग ने उम्मीद जाहिर की है कि संसद के अगले सत्र में वायदा अनुबंध को लेकर संशोधित विधेयक पर विचार किया जाएगा।


गत सात अप्रैल को इस मामले में एफएमसी को अधिकार देने वाली अधिसूचना की अविध समाप्त हो गई। एफएमसी के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने बताया कि इस विधेयक को संसद की लगभग मंजूरी मिल चुकी है और इसे फिर से जारी करने के पहले इसमें कुछ तकनीक सुधार की जरूरत है।


 आमतौर पर ऐसा होता है कि अगर इससे जुड़ी अधिसूचना की अवधि समाप्त होने के बाद संसद सत्र के छह सप्ताह तक इस संशोधित विधेयक को अपनी मंजूरी नहीं दी जाती है तो यह अधिसूचना बेकार मानी जाती है। खटुआ ने बताया कि हालांकि इस अधिसूचना की अवधि समाप्त होने से निवेशकों के निवेश में कोई कमी नहीं दर्ज की गई है। और न ही निवेशकों के विश्वास में कोई कमी आयी है।


उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा भी नहीं है कि इस दौरान नियामक नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती है या नियामक के अधिकारों में कोई कमी आ जाती है। इस साल जनवरी महीने में कैबिनेट एफएमसी को स्वायत्तता देने के लिए अधिसूचना जारी करने का फैसला किया था। ताकि इससे निवेशकों में विश्वास जग सके। इधर नियामक भी जिंस कारोबार के विभिन्न क्षेत्रों के लिए दिशा निर्देश तय करने के संबंध में मसौदा तैयार कर रहा है।


खटुआ ने इस बात से इनकार किया कि कृषि व गैर कृषि वस्तुओं के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। खटुआ सवाल करते हैं कि जिन वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई है क्या उनके मूल्यों में बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है। क्या इससे इन चीजों के मूल्य को नियंत्रित कर लिया गया है?


गेहूं व उड़द जैसी वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई है। कृषि से जुड़ी या उद्योग से जुड़ी वस्तुओं की कीमत मांग व पूर्ति के सिध्दांत से तय होती है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि महंगाई के लिए वायदा कारोबार जिम्मेदार है।

First Published - April 12, 2008 | 12:17 AM IST

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