चावल की कीमतों में लगातार पांचवें दिन कमी का रुख रहा। पिछले चार वर्षों में एक सप्ताह में इस हफ्ते सबसे कम गिरावट आई है।
पिछले कुछ समय से चावल की कीमतों में कम आपूर्ति के चलते बढ़ती जा रही थीं। लेकिन जापान और पाकिस्तान द्वारा चावल के निर्यात की घोषणा के बाद चावल की कीमतों में कमी आई है।
दुनिया के पांचवें सबसे बड़े चावल निर्यातक देश पाकिस्तान ने घरेलू मांग पूरी होने की स्थिति में 10 लाख टन चावल के निर्यात को मंजूरी दी है। पाकिस्तान चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष मोहम्मद अजहर अख्तर पहले से ही चावल के निर्यात को लेकर मुहिम चला रहे हैं।
पिछले कुछ समय से चावल की कीमतों ने नया रेकॉर्ड बना रखा था। दरअसल भारत और वियतनाम जैसे चावल के बड़े निर्यातकों ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में तेज उछाल आया था।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार इस हफ्ते चावल की कीमतों में 14 फीसदी की गिरावट आई है। यह गिरावट 2 जुलाई 2004 के बाद से आई सबसे बड़ी गिरावट आई है।कुछ निर्यातक एशिया में चावल की नई फसल आने से पहले ही चावल का निर्यात कर देना चाहते हैं।
जुलाई में अनुबंध के लिए चावल की कीमतों में 5 फीसदी की कमी आई। चावल की कीमतें 1.02 डॉलर प्रति पाउंड गिरकर 19.32 डॉलर प्रति पाउंड तक पहुंच गईं। चावल की कीमतें 24 अप्रैल को रेकॉर्ड 25.07 डॉलर प्रति पाउंड तक पहुंच गई थीं। दूसरी ओर फिलिपींस चावल आयात करने के लिए ,जापान से बातचीत कर रहा है। कच्चे तेल, गेहूं की रेकॉर्ड कीमतों के बाद चावल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों ने दुनिया भर को परेशान कर दिया था।
चावल दुनिया का प्रमुख खाद्यान्न है और बढ़ती कीमतों की वजह से चावल गरीब लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा था। खाद्य एवं कृषि संगठन का अनुमान है कि इस साल अभी तक चावल का वैश्विक स्तर पर कारोबार 7.1 फीसदी घटकर 2.88 करोड़ टन रह जाएगा। अब जापान और पाकिस्तान से चावल निर्यात के बाद आपूर्ति में सुधार हो जाएगा। एक विश्लेषक का मानना है कि इसके चलते सट्टेबाज कीमतों को बढ़ा नहीं पाएंगे।
गुरुवार को ही पाकिस्तान चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष ने कहा था कि पाकिस्तान कम से कम 10 लाख टन चावल का निर्यात कर सकता है। पाकिस्तान में इस साल 30 लाख टन चावल का अधिक उत्पादन हुआ है। पाकिस्तान में घरेलू स्तर पर चावल की कोई कमी न हो इसके लिए वहां पर चावल की कुछ बढ़िया किस्मों का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय कर दिया गया है।
चावल निर्यात की मंजूरी मिलने के बाद कारोबारी निर्यात अनुबंधों की ओर देख रहे हैं। दूसरी ओर भारत के वाणिज्य सचिव जी के पिल्लई का कहना है कि इस साल बंपर फसल हुई है। इसको देखते हुए चावल के निर्यात में आंशिक रूप से छूट दी जा सकती है। कृषि मंत्रालय का कहना है कि पिछले साल के 933.5 लाख टन चावल उत्पादन की तुलना में इस साल चावल का उत्पादन 95.68 लाख टन तक पहुंच सकता है।
गौरतलब है कि भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर चावल के उत्पादन में 1.4 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह 43.5 करोड़ टन के स्तर तक पहुंच जाएगा। एक विश्लेषक का मानना है कि चावल की कीमतों में तेजी के बाद चावल की बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है।
पिछले दिनों चावल की कीमतों के बढ़ने की एक वजह म्यांमार में आया चक्रवात भी है। म्यांमार का मुख्य चावल क्षेत्र चक्रवात से बहुत प्रभावित हुआ है जिसकी वजह से यह आशंका जताई गई कि म्यांमार से चावल का निर्यात प्रभावित होगा। कई विशेषज्ञ नरगिस नाम के इस चक्रवात को चावल की कीमतें बढ़ने की वजह मानते हैं।
दुनिया भर के चावल कारोबार में म्यांमार की तकरीबन 5 से 6 फीसदी की हिस्सेदारी है। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि तूफान की वजह से म्यांमार में चावल की अगली फसल से निर्यात हो पाना बेहद मुश्किल है।