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चावल खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं होगा!

Last Updated- December 07, 2022 | 3:05 PM IST

खाद्यान्न की खरीद और वितरण करने वाली सरकारी एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का अनुमान है कि मौजूदा सीजन में चावल खरीदारी का लक्ष्य अधूरा रह सकता है।


पंजाब सहित कई राज्यों की चावल मिलों द्वारा इस केंद्रीय एजेंसी को लेवी के रूप में चावल की बिक्री करने से मना कर देने के चलते ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। कई राज्यों में चावल मिलों ने उस व्यवस्था को तगड़ी चुनौती दी है, जिसके तहत प्रावधान है कि ये मिल लेवी के रूप में चावल की एक निश्चित मात्रा एफसीआई को बेचें।

एफसीआई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आलोक सिन्हा ने बताया कि पंजाब की चावल मिलों को लेवी के रूप में 5 लाख टन चावल बेचना था। लेकिन चावल का बाजार मूल्य सरकारी खरीद मूल्य से अधिक होने के चलते मिलों ने इसे सरकारी एजेंसी के हाथों बेचने की बजाय बाजार में बेचना उचित समझा।

सिन्हा ने बताया कि इसका खामियाजा एफसीआई को भुगतना पड़ सकता है और हो सकता है कि इससे उसका लक्ष्य अधूरा रह जाए। एफसीआई ने 2007-08 सीजन के लिए 2.75 करोड़ टन चावल की खरीद का लक्ष्य रखा है। अब तक तो इसने 2.64 करोड़ टन चावल की खरीद कर ली है।

अपने लक्ष्य से यह एजेंसी अभी भी 11 लाख टन ही दूर है जिसे सितंबर तक एफसीआई को हासिल करना होगा। 2005-06 में एफसीआई ने 2.76 करोड़ चावल की खरीद की थी पर 2006-07 में यह आंकड़ा घटकर 2.51 करोड़ टन पर सिमट गया। गौरतलब है कि चावल खरीदारी का सीजन हरेक साल अक्टूबर से सितंबर के बीच चलता है।

चावल के प्रमुख उत्पादक राज्यों के मिलों ने उस व्यवस्था को तगड़ी चुनौती दी है, जिसके तहत प्रावधान है कि ये मिल लेवी के रूप में चावल की निश्चित मात्रा एफसीआई को बेचें। पंजाब का ये हाल है कि वहां की 75 से 90 फीसदी मिलों ने राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में किए गए प्रावधान के बाद एफसीआई के प्रावधान की जमकर अवहेलना की है। आलोक सिन्हा ने बताया कि कम कीमत पर चावल खरीदने की वजह से यह हालात उत्पन्न हुए हैं।

मालूम हो कि कम कीमत पर चावल खरीदने के बाद सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत इसका वितरण करती है। सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ और हरियाणा को छोड़ देश के दूसरे राज्यों में चावल की खरीदारी में इस साल पिछले साल की तुलना में वृद्धि हुई है। केंद्रीय पूल की बात करें तो पंजाब का योगदान सबसे ज्यादा है। इसकी हिस्सेदारी 78.7 लाख टन की है। उसके बाद, आंध्र प्रदेश जो 64.6 लाख टन की खरीदारी करता है और उत्तर प्रदेश जहां 28.3 लाख टन की खरीदारी होती है, का नंबर आता है।

छत्तीसगढ़ में चावल की खरीदारी में 4 लाख टन की कमी हुई है और यह 24 लाख टन तक पहुंच गया है। हरियाणा की खरीदारी में 2 लाख टन की कमी हुई है और यह 15.7 लाख टन तक जा पहुंचा है। एफसीआई का अनुमान है कि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से 12 लाख टन चावल की और खरीद हो सकेगी।

31 मार्च को सरकार ने गैर-बासमती चावल की खरीद पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। 2007-08 के खरीफ सीजन में प्रावधान किया गया है कि 10 हजार टन से अधिक की चावल खरीद करने पर राज्य सरकार और 25 हजार टन से अधिक की खरीद करने पर केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी।

First Published - August 5, 2008 | 11:33 PM IST

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