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थम नहीं रही न्यूजप्रिंट की बढ़ती कीमतें

Last Updated- December 07, 2022 | 8:44 AM IST

कोयला, रद्दी कागजों और पल्प के मूल्यों में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए न्यूजप्रिंट उत्पादकों ने जुलाई-सितंबर की तिमाही में न्यूजप्रिंट की कीमतों में 11-12 फीसदी की वृध्दि की है।


न्यूजप्रिंट मूल्य (45 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के लिए या जीएसएम) पिछली तिमाही के 34,000-36,000 रुपये प्रति टन से बढ़ कर 38,000-40,000 रुपये प्रति टन हो गया है। रुपये के अवमूल्यन से आयातित न्यूजप्रिंट की कीमतों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला अप्रैल में आयात शुल्क को 5 प्रतिशत से घटा कर 3 प्रतिशत किए जाने के  बाद भी जारी है।

आयातित न्यूजप्रिंट लगभग 41,000 रुपये प्रति टन पर उपलब्ध है। रामा न्यूजप्रिंट ऐंड पेपर्स के कार्यकारी निदेशक वी डी बजाज ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि निर्माताओं को मूल्य में होने वाली इस बढ़ोतरी से भारी लाभ प्राप्त होगा। लागत मूल्यों में हुई भारी वृध्दि ने न्यूजप्रिंट की कीमत बढ़ाने पर मजबूर किया है और मांग-आपूर्ति की परिस्थितियां भी इस मूल्य-वृध्दि को समर्थन दे रही हैं।’ प्रकाशक न्यूजप्रिंट की बढ़ती कीमतों से प्रभावित हो रहे हैं और उनके मुनाफे पर भी यह असर दिखा रहा है।

कुछ प्रकाशक बढ़ती कीमतों के प्रभाव की भरपाई के लिए विज्ञापन से होने वाली आय का सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं। दैनिक जागरण को प्रकाशित करने वाले जागरण प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय गुप्ता ने कहा, ‘न्यूजप्रिंट की कीमतों में हुई वृध्दि को हम बजट में शामिल कर चुके हैं और उसी के अनुसार अपनी आय का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसलिए, शुध्द आय पर हमें इसका खास प्रभाव नहीं दिखता है।’ बजाज ने कहा कि केवल जून महीने में कोयले का मूल्य 4,400 रुपये प्रति टन से बढ़ कर 5,500 रुपये प्रति टन हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘1 टन न्यूजप्रिंट के उत्पादन के लिए हमें 1.3 टन कोयले की आवश्यकता होती है।’ जून के अंतिम सप्ताह में रद्दी कागज और पल्प की कीमत क्रमश: 240 डॉलर से बढ़कर 290 डॉलर और 720 डॉलर से बढ़ कर 770 डॉलर प्रति टन हो गई। न्यूजप्रिंट की घरेलू खपत फिलहाल 20 लाख टन की है और ऐसा अनुमान है कि यह अगले वर्ष बढ़ कर 24 लाख टन हो जाएगा, स्पष्ट है कि इसमें 20 प्रतिशत की वृध्दि की उम्मीद है। नये प्रकाशन के साथ-साथ वर्तमान प्रकाशन के बढ़ते एडिशन और पृष्ठों की संख्या भी मांग को बढ़ा रहे हैं। खपत के लगभग आधे की आपूर्ति आयात से की जाती है।

लिखाई और छपाई वाले कागज की कीमतों रेकॉर्ड स्तर पर लागत मूल्यों में हुई वृध्दि से बिल्ट जैसी कंपनियों ने लिखाई और छपाई वाले कागजों की कीमत आज से बढ़ा दी हैं। जहां कोटेड पेपर की कीमतों में प्रति टन 1,500 रुपये और अनकोटेड पेपर की कीमतों में 800 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है, दोनों वर्गों के पेपर के  मूल्यो में यह अब तक हुई सर्वाधिक वृध्दि है।

First Published - July 1, 2008 | 10:31 PM IST

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