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रुपये में गिरावट से कॉफी उत्पादकों का स्वाद बढ़ा

Last Updated- December 07, 2022 | 1:00 AM IST

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कॉफी की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। कई दूसरी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की कीमतों में कमी को इसकी वजह बताया जा रहा है।


लेकिन भारतीय कॉफी उत्पादकों के लिए खुशी की बात यह है कि पिछले कुछ हफ्तों से डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट के चलते उनको होने वाला फायदा बढ़ जाएगा। रुपये में गिरावट से इनको अपने उत्पाद की और भी बढ़िया कीमत मिलेगी।

कॉफी की बढ़ती कीमतों की वजह से उत्पादकों को पिछले दो महीनों से अपने उत्पाद की बढ़िया कीमत मिल रही थी। आईसीई फ्यूचर न्यू यॉर्क में अरेबिका कॉफी की कीमतें 1.20 से 1.50 डॉलर प्रति पाउंड के स्तर पर थीं। दूसरी ओर लंदन इंटरनेशनल फाइनैंनिशयल फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स (एलआईएफएफई) में रॉबस्टा कॉफी की कीमतें 1,900 से 2,200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के स्तर पर थीं।

ब्लान कॉफी, कौशलनगर के मालिक बी एल हरीश के मुताबिक रुपये में आई गिरावट भारतीय कॉफी उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है। लेकिन उनका कहना है कि बढ़ती तेल कीमतों के चलते भारत में ढुलाई और निर्यात करने में  लागत अधिक आ रही है। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। जिन देशों की मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले मजबूती आई है उनके सामने दूसरी स्थिति है।

अंतरराष्ट्रीय कॉफी संगठन (आईसीओ) के कार्यकारी निदेशक नेस्टर ओसारियो का कहना है कि तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर की गिरती कीमतों ने कॉफी निर्यात करने वाले देशों के सामने मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए इन देशों ने अपने कॉफी उत्पादकों की सहायता के लिए कुछ प्रावधान किए हैं। इसमें बढ़ती फर्टिलाइजर कीमतें और प्रतिकूल विनिमय दरों से संबंधित उपाय किए गए हैं।

ब्राजीली एजेंसियों ने इसके लिए बाकायदा ‘पेप्रो’ नाम के कार्यक्रम को फिर से तैयार किया है। इसके तहत नीलामी के जरिये कॉफी उत्पादकों के लिए समर्थन मूल्य तय किया जा रहा है। इसके जरिये अधिकतम 4 लाख कॉफी बैगों (एक 60 किलो का)की नीलामी की जा सकती है।

कोलंबिया में इस तरह की योजना बनाई जा रही है कि किसानों को उनकी सालाना फर्टिलाइजर लागत का 24 फीसदी फर्टिलाइजर मुहैया कराया जाए। कमजोर डॉलर और तेल की कीमतों के रोज नया रेकॉर्ड बनाने के चलते मार्च 2008 में 87 लाख कॉफी बैगों का ही निर्यात हो पाया जो कि पिछले इसी दौरान हुए निर्यात से 5.5 फीसदी कम है।

इस साल कॉफी वर्ष के पहले 6 महीनों में 4.64 करोड़ कॉफी बैगों का निर्यात किया गया जबकि इसी अवधि में पिछले साल 4.88 करोड़ कॉफी बैगों का निर्यात किया गया था। इस तरह से इसमें 4.9 फीसदी की कमी आई। 2007 में गैर कॉफी उत्पादक देशों में कॉफी का आयात बढ़कर तकरीबन 10 करोड़ बैग तक पहुंच गया।

ओसारियों कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों (2003 से 2007 तक) में कॉफी का उपभोग सालाना 2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इस रुझान के मुताबिक 2008 में दुनिया का कॉफी उपभोग बढ़कर 12.5 करोड़ बैग तक पहुंच सकता है।

First Published - May 22, 2008 | 12:53 AM IST

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