Rupee Crash: शुक्रवार सुबह भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86 के पार चला गया। यह पिछले दो महीनों का सबसे कमजोर स्तर है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, रुपया 53 पैसे टूटकर 86.13 पर खुला, जबकि पिछले कारोबारी दिन यह 85.60 पर बंद हुआ था। खुलने के बाद यह और गिरकर 86.20 तक पहुंच गया।
इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं। इस सैन्य ऑपरेशन को ‘राइजिंग लायन’ नाम दिया गया है। हमले के बाद इजरायल के रक्षा मंत्री ने देश में आपातकाल घोषित कर दिया। रिपोर्टों के अनुसार, ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख हुसैन सलामी की मौत भी इन हमलों में हो गई।
इस तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी देखी गई। ब्रेंट क्रूड का दाम 9.20% बढ़कर 75.74 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि WTI क्रूड 9.45% की तेजी के साथ 74.47 डॉलर पर पहुंच गया। यह 2022 के बाद से सबसे बड़ी साप्ताहिक तेजी मानी जा रही है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के हेड ऑफ ट्रेजरी अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि मिडल ईस्ट में बढ़ते तनाव की वजह से निवेशकों का जोखिम उठाने का मूड कमजोर हुआ है। इससे रुपया और कमजोर रह सकता है। उनका कहना है कि रुपया 85.70 से 86.25 के दायरे में रह सकता है। उन्होंने सलाह दी कि निर्यातक इस मौके पर अपनी पेमेंट्स को डॉलर में बेच सकते हैं, जबकि आयातकों को स्थिति साफ होने तक इंतजार करना चाहिए, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक इस उतार-चढ़ाव को थामने के लिए बाज़ार में दखल दे सकता है।
तनाव के माहौल में निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर भाग रहे हैं। जापानी येन और स्विस फ्रैंक की मांग बढ़ी है। डॉलर इंडेक्स, जो डॉलर को छह बड़ी मुद्राओं के मुकाबले मापता है, थोड़ी गिरावट के साथ 98.24 पर रहा। हालांकि अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड तेल के उछाल के बावजूद नीचे आई।
इस बीच घरेलू मोर्चे पर अच्छी खबर है। मई में खुदरा महंगाई घटकर 2.82% रह गई, जो अप्रैल में 3.16% थी। इसका मुख्य कारण खाने-पीने की चीज़ों में मामूली बढ़त है। खासकर प्याज, टमाटर और आलू की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है।