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तिल के निर्यात में गिरावट के आसार

Last Updated- December 07, 2022 | 8:45 PM IST

इंडियन ऑयलसीड्स एंड प्रोडयूस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के तिल पैनल के प्रमुख किशोर भेड़ा ने आज कहा कि भारतीय तिल के सबसे बड़े आयातक चीन में तिल के अधिक उत्पादन की संभावना को देखते हुए भारत के तिल का निर्यात साल 2008-09 (अप्रैल से मार्च) में घट कर 2,40,000 से 2,50,000 टन हो सकता है।


पिछले वर्ष 3,04,000 टन तिल का निर्यात किया गया था। चीन के बाद भारत विश्व में तिल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भेड़ा ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि साल 2008-09 में चीन के तिल का कुल आयात 1,75,000 टन से 2,00,000 टन होगा जबकि पिछले साल यह 3,00,000 टन था। इस साल बेहतर उत्पादन होने से चीन के आयात में कमी आ सकती है।’

पिछले साल तिल का एकमात्र सबसे बड़ा ग्राहक चीन था जिसने 55,000 टन भारतीय तिल का आयात किया था। पिछले साल चीन के तिल की फसल भी खराब मौसम के कारण प्रभावित हुई थी। चीन विश्व का सबसे बड़ा तिल उत्पादक देश है लेकिन अपनी घरेलू जरुरतों और निर्यात के लिए यह भारतीय तिल का आयात करता है। भेड़ा ने कहा, ‘इसके अतिरिक्त प्रमुख तिल उत्पादक अफ्रीकी देशों जैसे इथिओपिया और इजिप्ट में फसल अच्छी है। इसलिए, इस साल कठिन प्रतिस्पर्धा रहेगी।’

भारत का उत्पादन

भेड़ा ने कहा कि तिल के रकबे में मामूली कमी आने से भारत में भी तिल के उत्पादन में कमी आने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘इस खरीफ सीजन (जून से सितंबर) में भारत में तिल की खेती के क्षेत्र में मामूली कमी आई है, पिछले साल 14 लाख हेक्टेयर में तिल की खेती की गई थी।

हमारा अनुमान है कि विलंबित बारिश के कारण राजस्थान की फसल को नुकसान पहुंची हो सकती है जिस कारण इस वर्ष सफेद तिल का उत्पादन 3,00,000 टन होने की उम्मीद है जबकि पिछले साल यह 3,75,000 टन था।’

गुजरात और राजस्थान देश के प्रमुख सफेद तिल उत्पादकों में से हैं। भेड़ा ने कहा कि अपर्याप्त बारिश के कारण आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में भूरे तिल के उत्पादन में भी मामूली कमी आ सकती है। पिछले खरीफ सीजन में इन तीन राज्यों में 1,50,000 टन भूरे तिल का उत्पादन हुआ था।

तिल के भाव

अधिकांश निर्यातकों ने बताया कि तिल की कीमत जो 63,000 से 64,000 रुपये प्रति टन है में कमी आ सकती है क्योंकि निर्यात में कमी आई है। पिछले साल की कीमतों की तुलना में इस साल तिल की कीमतें लगभग 70 प्रतिशत अधिक हैं। दाहोड़ कि एक निर्यातक मिलांक शाह ने कहा, ‘चीन और यूरोपीय देशों की अधिक मांग के कारण इस साल मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है।’

शाह ने कहा कि चीन की मांग में कमी आ सकती है और अफ्रीकी देश इस साल वैश्विक बाजार में प्रतिस्पध्र्दा कर सकते हैं जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि मूल्य में वर्तमान स्तर से 10 से 15 फीसदी की कमी आ सकती है। भेड़ा ने यह भी कहा कि अक्टूबर में नई फसल आने से इस साल कीमतों में अच्छी खासी कमी कमी आ सकती है।

First Published - September 11, 2008 | 11:22 PM IST

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