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तिलहन के रकबे में मामूली इजाफा

Last Updated- December 07, 2022 | 8:08 PM IST

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने अपने आंकड़े के जरिये यह बताया है कि मानसून के देर से आने की वजह से इस खरीफ मौसम में 5 सितंबर तक तिलहन के रकबे में 2.31 फीसदी का इजाफा हुआ है।


हालांकि संपूर्ण रकबे की अगर बात की जाए, तो पिछले साल की समान अवधि में 170.67 लाख हेक्टेयर पर तिलहन की बुआई हुई थी, जो इस साल बढ़कर 174.62 लाख हेक्टेयर हो गया है। लेकिन अगर औसत रकबे की बात की जाए, तो यह 158.98 लाख हेक्टेयर है और इस हिसाब से रकबे में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोयाबीन की जबरदस्त मांग की वजह से किसानों ने इसबार सोयाबीन के ज्यादा उत्पादन पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इस वजह से सोयाबीन के रकबे में भी 9.32 फीसदी का इजाफा हुआ है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कम वर्षा वाले राज्यों में भी सोयाबीन के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। इन राज्यों में सोयाबीन का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।

सोयाबीन प्रसंस्करण संगठन (सोपा) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त तक सोयाबीन का 212,310 टन का निर्यात हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के 46,720 टन के मुकाबले 354.43 फीसदी अधिक है।

हालांकि इस लिहाज से अरंडी के रकबे में मामूली 1 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसलिए किसान अब इसकी खेती पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि मुख्य तिलहन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति बनी हुई थी और वहां मानसून ने काफी देर से दस्तक दी। इससे तिलहन की बीज की भी किल्लत हो गई थी।

स्वाभाविक तौर पर इस स्थिति से खाद्य तेल के उपभोक्ता घबराए हुए थे कि कही इसकी कीमत इस साल बढ़ न जाए। विश्लेषकों का कहना है कि तिलहन के रकबे में हुई बढ़ोतरी से थोड़ी राहत मिली है।

First Published - September 8, 2008 | 11:33 PM IST

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