विश्लेषकों ने बताया कि आज दोपहर के कारोबार में मुनाफीवसूली की शुरुआत के साथ ही जीरे की कीमतों में कमजोरी आई। पिछले कुछ सत्रों में जीरे की कीमतों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई थी।
उन्होंने बताया कि सबसे अधिक सक्रिय अगस्त अनुबंध की कीमतें निर्यात की मजबूत मांगों और सीरिया एवं तुर्की में फसल कम होने से शुरुआती कारोबार के दौरान 13,600 रुपये के स्तर पर पहुंच गईं।
सीरिया और तुर्की जीरा के दो सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं और वहां की फसल कमजोर होने से भारतीय निर्यात में तेजी आ रही है। भारत जो विश्व में जीरा का सबसे बड़ा निर्यातक है ने अप्रैल-मई महीने में लगभग 6,500 टन जीरे का निर्यात किया है। पिछले वर्ष 2,180 टन जीरे का निर्यात किया गया था।
दोपहर के 1.30 बजे सितंबर अनुबंध का कारोबार 13,735 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था। इसमें 0.05 प्रतिशत की तेजी देखी गई। गुजरात के प्रमुख कारोबारी केंद्र ऊंझा में हाजिर जीरे की कीमत में 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई और इसका कारोबार 12,897 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था।
हल्दी
आज सातवें दिन भी हल्दी के कारोबारी कीमतों में तेजी देखी गई। विश्लेषकों ने बताया कि इसकी वजह हाजिर बाजार में मजबूती और हल्दी उगाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में कम बारिश से खेती के रकबे में कमी आने की आशंका है। निर्यात की मांगों में संभावित बढ़ोतरी और भौतिक बाजार में कम आवक से भी मूल्य में मजबूती आ रही है।
दोपहर के 1.43 मिनट पर अगस्त अनुबंध की कीमत में 0.10 प्रतिशत की वृध्दि देखी गई और इसका कारोबार 4,813 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था। शुरुआत कारोबार में इस सौदे की कीमत बढ़ कर 4,853 रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। आंध्र प्रदेश के प्रमुख बाजार निजामाबाद में इसके मूल्य में 17 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई और कारोबार 4,446 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था।
काली मिर्च
विश्लेषकों ने बताया कि वियतनाम की कमजोर फसल और काली मिर्च उगाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में कम बारिश से भारतीय काली मिर्च के वायदा मूल्यों में तेजी आई। वियतनाम पीपर एसोसिएशन के गुरुवार के बयान के अनुसार, विश्व का सबसे बड़ा काली मिर्च उत्पादक देश वियतनाम इस मसाले के 87,000 टन की कटाई संपन्न कर चुका है। पिछले वर्ष 90,300 टन का उत्पादन हुआ था।
एसोसिएशन द्वारा मई जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, ऐसा अनुमान है कि काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन 2,59,000 टन होगा जबकि खपत 3,05,000 टन का होगा। मौसम विभाग के अनुसार, भारत में काली मिर्च के सबसे बड़े उत्पादक केरल में 1 जून से 15 जुलाई के बीच 44 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। दोपहर के 1.58 बजे बेंचमार्क अगस्त सौदे का कारोबार 14,600 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था। इसमें 1.16 प्रतिशत की तेजी देखी गई।
लाल मिर्च
हाजिर बाजार में मजबूती और आंध्र प्रदेश में हुई कम बारिश से मिर्च के वायदा मूल्यों में बढ़त का माहौल बना रहा। आंध्र प्रदेश भारत में मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक है। बारिश कम होने से वर्तमान सीजन में खेती के रकबे में कमी आ सकती है।
दोपहर 1.45 बजे मिर्च के अगस्त सौदे में 1.30 प्रतिशत की तेजी देखी गई और इसका कारोबार 5,748 रुपये प्रति क्विंटल पर किया जा रहा था। आंध्र प्रदेश के प्रमुख हाजिर बाजार गुंटूर में इसकी कीमत में 24 रुपये की बढ़त देखी गई और प्रति क्विंटल भाव 5,082 रुपये रहा।
इलायची मजबूत
सीमित भंडार को देखते हुए कारोबारियों द्वारा भारी खरीदारी के कारण आज वायदा बाजार में इलायची की कीमतों में 2.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दिन के 12.30 बजे मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर इलायची के अक्टूबर अनुबंध की कीमत 2.90 प्रतिशत बढ़ कर 604 रुपये प्रति किलो हो गया जबकि अगस्त के सौदे में 1.26 प्रतिशत की तेजी आई और इसका कारोबार 663 रुपये प्रति किलो पर किया जा रहा था।
सितंबर के सौदे में 1.16 प्रतिशत की बढ़त देखी गई और इसकी कीमत प्रति किलो 630 रुपये रही। बाजार में खरीदारी में आई तेजी और केरल से सीमित आवक से भंडार की स्थिति तंग बनी रही। असमय हुई भारी बारिश से इलायची के कम उत्पादन की खबर इलायची की कीमतों में तेजी लाने वाले अतिरिक्त कारक थे।