अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में ठहराव के मद्देनजर मार्च केदूसरे पखवाड़े में भी रूई के फाहे का भाव लगभग पहले के स्तर पर ही स्थिर है।
हालांकि हर बाजार में प्रतिदिन की आौसत आवक में कमी आयी है। पर इसके बावजूद पिछले साल की तुलना में यह आवक ज्यादा है। दक्षिण भारत कॉटन संघ (सिका) के अनुसार, साल 2006-07 में जहां कुल 230.50 लाख बेल्स की आपूर्ति हुई थी। वहीं इस साल 28 मार्च तक 265.90 बेल्स रूई की आवक हो चुकी है।
मूल्यों में यह ठहराव पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के साथ बांगलादेश में भी है। अभी इसकी कीमत 1800 से 1910 रुपये प्रति मौंड के बीच बनी हुई है। जबकि जे-34 का भाव 2090 से 2270 रुपये प्रति मौंड के बीच है।
बाजार में आवक रोज 2500 बेल्स की है। उधर गुजरात में शंकर-6 का भाव 21200 से 22500 रुपये प्रति कैंडी के बीच स्थिर है तो वी-797 की कीमत 17200 से 17400 रुपये के आसपास टिका हुआ है। मध्य प्रदेश में मैक 1 एच 4 का मूल्य 20500 से 21200 प्रति कैंडी के बीच चल रहा है।
अभी गुजरात में 20000 बेल्स और मध्य प्रदेश में 1500 बेल्स प्रतिदिन की आपूर्ति हो रही है। महाराष्ट्र में भी 12000 बेल्स रोज की आवक हो रही है। यहां कीमत 20000 से 21200 के आसपास है।