स्टील की बढ़ती कीमतों से चिंतित सरकार स्टील निर्माताओं पर दाम नहीं बढ़ाने के लिए जो दबाव बना रही थी, वह रंग लाने लगी है।
सेल एवं टाटा स्टील के बाद इस्पात इंडस्ट्रीज, जेएसडब्ल्यू और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के साथ-साथ सेकेंडरी इस्पात निर्माता स्टील के दाम नहीं बढ़ाने पर राजी हो गए हैं।
इस्पात इंडस्ट्रीज ने बुधवार को कहा कि बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार की परेशानी को देखते हुए कंपनी ने जून 2008 तक स्टील की कीमतों में इजाफा नहीं करने का निर्णय लिया है। कंपनी ने साथ ही यह भी कहा है कि लौह अयस्क, कोयला तथा माल भाड़े जैसे लागत खर्च में भारी बढोतरी के बावजूद इस्पात की घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर से बहुत कम हैं।
आरआईएनएल के निदेशक (कॉमर्शियल) सी. जी. पटेल ने कहा कि बाजार में स्टील की कीमतों में तेजी बनी हुई है, लेकिन हमने अपने उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि बाजार में स्टील के बड़े उत्पादों की कीमतों में थोड़ी कमी आई है।
जेएसडब्ल्यू के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल ने कहा है कि कंपनी अगले 2-3 माह तक कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं करेगी। गुजरात की एस्सार स्टील ने भी कीमतों के बारे में सरकार की चिंताओं पर सहमति जताते हुए कहा है कि वह कीमतों को स्थिर रखने पर विचार करेगी। कंपनी ने सरकार से मांग की कि गैस एवं लौह अयस्क का आवंटन वरीयता के आधार पर की जाए।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से अगर वित्तीय कदम उठाए जाते हैं, तो इसका असर स्टील की कीमतों पर निश्चित तौर पर पड़ेगा और स्टील निर्माताओं को अपनी रणनीति बदलनी होगी। सेकेंडरी उत्पादकों ने भी स्टील की कीमतें नहीं बढ़ाने का इरादा किया है।
कसेगा फौलादी शिकंजा
स्टील और इससे निर्मित उत्पादों को एक साल पहले आवश्यक कमोडिटी की सूची से हटाने के बाद अब सरकार इसे आवश्यक कमोडिटी कानून, 1955 के दायरे में लाने की योजना बना रही है। संभावना है कि शुक्रवार को इस मामले पर आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति में निर्णय लिया जा सकता है। स्टील की कीमत पर अंकुश के लिए सभी स्टील प्लांटों को ऊर्जा मंत्रालय की ओर से अबाध बिजली आपूर्ति की व्यवस्था की जा सकती है।