सरकार यदि इस्पात को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लाती है तो वायदा बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव पड़ेगा।
पिछले एक साल के दौरान इस्पात की कीमतों में 70 फीसदी का इजाफा हुआ है। जिंस ब्रोकरेज कंपनी एसएमसी के प्रबंध निदेशक डी. के. अग्रवाल ने कहा कि यदि इस्पात को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लाया जाता है तो कीमतों में 10 फीसदी की कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इस पहल से वायदा बाजार का रुख प्रभावित होगा।
कार्वी कामट्रेड के अनुसंधान प्रमुख हरीश जी. ने कहा कि इस्पात के वायदा कारोबार पर कोई प्रत्यक्ष असर नहीं होगा, लेकिन कीमत पर निश्चित रूप से असर होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा होने के बाद बाजार में निवेशक घबराहट के साथ बिकवाली शुरू कर देंगे।
नकदी बाजार के साथ-साथ एनसीडीईएक्स व एमसीएक्स में पिछले एक साल में वायदा की कीमत में 73 फीसदी का उछाल आया है। अभी स्टील के अप्रैल वायदा की कीमत 31840 रुपये प्रति टन है जबकि एक साल पहले यह 18462 रुपये प्रति टन था।
इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने स्टील की बढ़ती कीमत पर लगाम कसने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कई कदम उठाने का अनुरोध किया है, जिसमें इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत रखे जाने का मामला भी शामिल है। पिछले साल जब स्टील की कीमतें काबू में थीं तो इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर कर दिया गया था।
स्टील मंत्रालय के सीनियर अफसर ने कहा कि स्टील की कीमतें आसमान छू रही हैं और मांग-आपूर्ति का अंतर काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि मांग-आपूर्ति का अंतर करीब 10 फीसदी पर आ गया है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा कदम उठाना पड़ेगा जिससे इसका असर महंगाई की दर पर न पड़े।
पीएम को लिखे पत्र में पासवान ने कहा है कि दिसंबर 2007 से अब तक स्टील की कीमतों में 20-24 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है। इस पर काबू पाने के लिए नियामक का गठन और इसे आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने की बात कही गई है।
बाजार विशेषज्ञ हालांकि बढ़ती लागत को कीमत में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लौह अयस्क व कोकिंग कोल की कीमत पिछले एक साल में 100 फीसदी की छलांग लगा चुकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्टील की कीमत इस साल 142 डॉलर प्रति टन पर पहुंच चुकी है जबकि पिछले साल यह 84 डॉलर थी। इस दौरान कोकिंग कोल 60 डॉलर प्रति टन से 140 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच चुकी है।