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अगले साल 20-25 फीसदी तक बढ़ सकती है चीनी की कीमत

Last Updated- December 07, 2022 | 8:44 AM IST

चीनी के खराब प्रदर्शन में अगले साल काफी परिवर्तन देखने को मिल सकता है। कम उत्पादन के अनुमानों और निर्यात की भारी मांग से इसकी कीमतों में 20-25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।


पर्याप्त आपूर्ति और उपभोक्ताओं के स्थिर मांग के कारण पिछले डेढ़ महीने में एम30 चीनी की कीमतों में 10 प्रतिशत की कमी आई है जबकि इसी अवधि में अन्य कृषि जिन्सों के मूल्यों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। भारी वैश्विक मांग और भंडारों के नाजुक स्तर पर आने से अनाज के मूल्यों में असाधारण रुप से तेजी आई है और विचारणीय अवधि में अधिकांश जिन्सों की कीमते लगभग दोगुनी हो गई हैं।

खाद्य तेल कृषि जिन्सों में सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाले साबित हुए हैं क्योंकि विकाशसील देशों में इसकी मांग (जिसमें भारत भी शामिल है) में काफी बढ़ोतरी हुई है जहां औसत मध्यम वर्ग की आय में महत्वपूर्ण वृध्दि हुई है। फलस्वरुप, किसानों ने भी चालू खरीफ के मौसम में गन्ने की जगह सोयाबीन, मक्का, कपास और अरंडी की बुवाई शुरु कर दी है। खास तौर से इन जिन्सों के इंटरक्रॉपिंग से किसानों को बेहतर लाभ अर्जित करने के अवसर मिले हैं।

भारतीय चीनी मिल एसोसिएशन के महानिदेशक एस एल जैन के अनुसार, ‘यह कहना मुश्किल है कि इस सीजन में मूल्यों में तेजी रहेगी क्योंकि कीमते चाहे जो भी हों, मिलों पर चीनी बेचने का भारी दबाव बना हुआ है। अगर वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अनुसरण नहीं करते हैं, जैसा कि उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों के मामले में दिया गया था, तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कठोर कदम उठाये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।’

स्पष्टतया, सभी कारकों को मिला कर देखने के बावजूद, उत्पादन और पहले से बचे भंडार भारत की वार्षिक खपत से कहीं अधिक हैं जो लगभग 205 लाख टन है। यही वजह है कि देश में गन्ने का बुवाई क्षेत्र घट कर आज 40.74 लाख हेक्टेयर रह गया है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 47.51 लाख हेक्टेयर था। गन्ने की जगह किसान तिलहन की खेती की खेती में जुट गए हैं। तिलहन की खेती का क्षेत्र पिछले वर्ष 3.88 लाख हेक्टेयर था जो इस वर्ष 4.67 लाख हेक्टेयर है।

चीनी कंपनियों के भागय में बदलाव देखने को मिल सकता है क्योंकि 25 प्रतिशत की अनुमानित कमी से वर्ष 2008-09 में उत्पादन 210-220 लाख टन होने की उम्मीद है जबकि पिछले वर्ष उत्पादन 280 लाख टन था। द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के कंपनी सचिव बी जे माहेश्वरी ने कहा, ‘पिछले वर्ष सरकार ने 50 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था जिसे बाजार में आने की वजह से फिलहाल चीनी की कीमतें चल रही हैं।

सरकार द्वारा बाजार में चीनी भेजे जाने से कीमतें कम हुई हैं। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ता भी अन्य कृषि जिन्सों की तुलना में चीनी की खरीदारी कम करते हैं।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल भंडार 150 लाख टन का है जिसे खपाया जाना जरुरी है ताकि नये उत्पादन और नई मांगों के बीच सामंजस्य बन सके और मूल्यों पर भी संतुलित प्रभाव पड़ सके।

चीनी का निर्यात बढ़ रहा है। इस साल अभी तक देश से 42 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है जबकि पिछले साल 30 लाख टन से कम चीनी का निर्यात किया गया था। निर्यात में अगले साल भी बढ़ोतरी हो सकती है। सिंभावली सुगर मिल्स लिमिटेड के वित्तीय निदेशक संजय ताप्रिया ने कहा, ‘किसी तरह की वृध्दि का अनुमान लगाना अभी उचित नहीं होगा क्योंकि अभी तक अक्टूबर से शुरु होने वाले सीजन की पेराई के लिए बुवाई पूरी तरह संपन्न नहीं हुई है। लेकिन इसके बावजूद मूल्य में बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है खासतौर से तब जक किसान मुनाफा देने वाली अन्य फसलों का रुख कर रहे हैं।’

First Published - July 1, 2008 | 10:20 PM IST

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