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अच्छी पैदावार के बाद भी बिगड़ा आम का ‘स्वाद’

Last Updated- December 06, 2022 | 11:41 PM IST

देश में इस साल आम की अच्छी पैदावार से इसका कुल उत्पादन 12 फीसदी बढ़कर 1.40 करोड़ टन होने का अनुमान है।


इससे आम की कीमत में कमी आने की संभावना है। वैसे गुजरात और महाराष्ट्र के आम उत्पादक क्षेत्रों में लगातार बारिश और अपेक्षाकृत ठंडे मौसम की वजह से उत्पादन खासा प्रभावित हुआ है। उधर खबर है कि विदेशों में भारतीय आम की मांग बढ़ने से यहां इसका कारोबार फल-फूल रहा है।


कृषि विभाग के मुताबिक, जाड़ों में बौर आने के समय रेकॉर्ड कम तापमान के चलते फसल को काफी नुकसान हुआ है। लिहाजा, इन क्षेत्रों में आम की कीमतें काफी तेज हैं। गत वर्ष की तुलना में कम उत्पादन होने से इस साल आम की कीमतों में 30 फीसदी तक इजाफा हुआ है। इस सप्ताह बलसाड़(गुजरात) के अल्फांसो और केसर की आवक शुरू होने से कुछ हद तक कीमतें सुधरी हैं।


फिर भी इनकी कीमतें गत वर्ष की तुलना में 20 फीसदी तक अधिक हैं। महाराष्ट्र आम का एक प्रमुख उत्पादक राज्य है। यहां फरवरी के दूसरे सप्ताह से ही फल मंडियों में आम की आवक  शुरू हो जाती है। महाराष्ट्र में अल्फांसो के साथ-साथ पैयरी, तोतापरी, केसर, रत्ना, अंबी, राजापुरी, मलगिस और मनकुर किस्मों की अच्छी पैदावार होती है। मुंबई कृषि उत्पादक बाजार समिति के अध्यक्ष बबन रावहंडे बताते हैं कि यहां की मंडियों में देवगढ़, रत्नागिरि, बिंगुरला और राजापुर से आम की आपूर्ति होती है।


इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में देवगढ़, सिंधुदुर्ग और रायगढ़ में 4-5 दिन तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते पैदावार गत वर्ष के मुकाबले महज 20 फीसदी ही हुई। आंधी और बारिश के कारण किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ा है। जो पेटी (4 से 5 दर्जन आम) 600 से 1000 रुपये मेंआती थी, कम आवक  के चलते वह 1200 से 1500 रुपये में बिकी। इस सप्ताह बलसाड़ के अल्फांसो और केसर की आवक शुरू होने से कीमतें गिरने के साथ ही लोगों की खरीदारी भी बढ़ी है।


मुंबई से यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर और खाड़ी देशों के लिए सीधी विमान सेवा उपलब्ध है। लिहाजा मुंबई आम के निर्यात के लिए सबसे आदर्श मंडी है। आम के निर्यात से जुड़े फर्म थोर्वे ब्रदर्स से मिली जानकारी के मुताबिक, लंदन, पूर्वी तटीय अमेरिकी राज्य, सिंगापुर और खाड़ी के देशों में लोग भारतीय आम को ज्यादा पसंद करते हैं। इसका निर्यात मार्च के पहले सप्ताह से शुरू होकर जून के अंत तक चलता है।


थोक व्यापारी देवीदास वायन बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में कम आवक के चलते आम की कीमतें चढ़ी हैं, लेकिन खरीदारी कम नहीं हुई है। यहां की मंडियों में 85 से 90 फीसदी तक अल्फांसो आम का ही कारोबार होता है, जिसकी आपूर्ति रत्नागिरि और देवगढ़ से होती है। आम की आवक और मुनाफे के बारे में वे कहते हैं कि बड़े किसान उन्हें आम की आपूर्ति करते हैं और उसकी बिक्री के एवज में उन्हें कमीशन मिलता है। यह करीब 8 फीसदी तक होता है।


हापुस के साथ-साथ केसर, तोतापरी की भी बाजार में अच्छी खासी मांग है। खुदरा कारोबारी प्रवीण सिंह बताते हैं कि हापुस महंगा होने के कारण लोग तोतापरी, केसर, रत्ना और नीलम की ओर रुख कर रहे हैं। फिलहाल खुदरा बाजार में इसकी कीमत 25 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम है।


उत्तर भारत की सबसे स्वादिष्ट किस्म लंगड़ा और मालदा के बाजार में उतरने के बारे में बबन रावहंडे बताते हैं कि गुजराती लंगड़ा और दशहरी की आवक इस सप्ताह से शुरू हो गयी है। यहां की मंडियों में 15 मई तक उत्तर प्रदेश और बिहार से लंगड़ा और दशहरी की आवक शुरू हो जाती है।

First Published - May 15, 2008 | 12:30 AM IST

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