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कपड़ा उद्योग नहीं चाहता कपास के एमएसपी में इजाफा

Last Updated- December 07, 2022 | 6:42 PM IST

कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 40 फीसदी का इजाफा करने की संभावना पर कपड़ा उद्योग ने चिंता जताई है।


इस पर ऐतराज जताते हुए कपड़ा उद्योग ने कहा है कि यह गैर-जरूरी कदम है क्योंकि कपास की कीमत फिलहाल ऐतिहासिक स्तर पर है।

अगर एमएसपी में इजाफा किया गया तो निश्चित रूप से कपास की कीमत में और बढ़ोतरी होगी।
2007-08 के कपास सीजन के लिए सरकार ने मीडियम साइज के कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1990 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है जबकि लंबे कपास का एमएसपी 2030 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।

कपास सीजन 2008-09 के लिए यह क्रमश: 2500 रुपये प्रति क्विंटल और 3000 रुपये प्रति क्विंटल रखने की बात की जा रही है। बी. के. बिड़ला ग्रुप की कंपनी बिड़ला सेंचुरी टैक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रेजिडेंट आर. के. डालमिया ने बताया कि कपास का एमएसपी बढ़ाने की स्थिति में कपड़ा उद्योग दबाव में आ जाएगा और यह इस उद्योग के लिए काफी समस्याएं लेकर आएगा।

वर्तमान में कपास की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा है और अगर एमएसपी में इजाफा किया गया तो कपास की कीमत और बढ़ेगी।

इंटरनैशनल कॉटन अडवाइजरी कमिटी के आंकड़ों के मुताबिक, 2008-09 में कपास की आपूर्ति पिछले साल के मुकाबले कम रहेगी। इसके अलावा अमेरिका में कपास का उत्पादन 2007-08 के 24.3 लाख बेल्स (एक बेल्स = 170 किलो) के मुकाबले 2008-09 में 12 फीसदी घटकर 21.3 लाख बेल्स रह जाएगा।

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टैक्सटाइल्स इंडस्ट्री के चेयरमैन पी. डी. पटौदिया ने कहा कि कपास के एमएसपी में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी की दरकार नहीं है। उनका कहना है कि एमसएपी में अधिकतम 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

पटौदिया ने कहा कि अगर एमएसपी में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई तो लंबे समय में इस पर मुद्रास्फीति का असर दिखेगा।

उन्होंने कहा कि पिछले साल के अक्टूबर के मुकाबले वर्तमान कपास सीजन में इसकी कीमत पहले ही 40 फीसदी उछल चुकी है।

कुटॉन्स रिटेल के चेयरमैन डी. पी. एस. कोहली ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ी हैं और फैब्रिक की कीमत में 5-10 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।

कोहली ने कहा कि एमएसपी में इजाफा किए जाने के बाद फैब्रिक की कीमत निश्चित रूप से बढ़ेगी। उधर, इस उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कपड़ा उद्योग विदेशी बाजार की कीमत के स्तर पर पहुंचना नहीं चाहता।

उन्होंने कहा कि सभी कृषि जिंस की कीमत काफी कम है और ऐसे में एमएसपी में 40 फीसदी का उछाल बिल्कुल सही कदम साबित होगा और देसी उद्योग को इस पर ऐतराज नहीं जताना चाहिए।
केजरीवाल रिसर्च एंड इन्वेस्टमेंट रिसर्च सर्विसेज के अरुण केजरीवाल ने बताया कि एमएसपी में इतना उछाल कपड़ा उद्योग पर काफी बुरा असर डालेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकारी कदम बाजार में मांग-आपूर्ति की स्थिति को परिवर्तित कर देगा। उन्होंने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें घटेंगी तो वे आयात करना पसंद करेंगे न कि देसी कपास किसान से माल खरीदना।

First Published - August 25, 2008 | 12:23 AM IST

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