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एसएमपी का मसला प्रधानमंत्री की चौखट पर!

Last Updated- December 10, 2022 | 1:25 AM IST

चुनाव से पहले महंगाई बढ़ने की आशंका से ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रस्तावित बढ़ोतरी के मामले को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के सुपुर्द कर दिया है।
ऐसा समझा जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय गन्ने के सांविधिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) को 33 प्रतिशत बढ़ा कर 107.76 रुपये प्रति क्विंटल करने के पक्ष में नहीं है। एसएमपी बढ़ाने का सुझाव कृषि मंत्रालय ने दिया था। 2008-09 सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के लिए गन्ने का एसएमपी 81.18 रुपये है।
पिछले महीने कृषि मंत्रालय ने एक पत्र जारी किया था जिसमें गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी के सुझाव के साथ रिकवरी दरों में वृध्दि का भी उल्लेख था। सूत्रों ने कहा कि साल 2009-10 के लिए गन्ने की कीमतों का बढ़ाया जाना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि अधिकांश चीजों जैसे डीजल, उर्वरक, पानी और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
उन्होंने तर्क दिया कि अगर इस वक्त एसएमपी में बढ़ोतरी की जाती है तो चीनी के खुदरा मूल्य में आने वाले समय में बढ़ोतरी होगी और आयातों पर छूट देने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीनी आयात पर और अधिक छूट देना उद्योग के लिए हितकारी नहीं होगा और इससे सरकार की वित्तीय स्थिति भी प्रभावित होगी। पिछले महीने सरकार ने चीनी के आयात नियमों को नरम बनाया था।
इसके तहत मिलों को शून्य शुल्क पर विदेश से चीनी मंगवा कर रिफाइन करने के बाद घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दी थी। औद्योगिक विशेषज्ञ कहते हैं कि घोषणा में विलंब इस क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि चुनाव आचार संहिता के लागू हो जाने के बाद सरकार इसकी घोषण नहीं कर पाएगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि उत्पदन की लागत और गन्ने की रिकॉवरी दर पर विचार करते हुए कृषि मंत्रालय ने गन्ने का एसमपी बढ़ा कर 107.76 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया था। साल 2009-10 के लिए मूल रिकवरी दर 9.25 प्रतिशत की है।

First Published - February 17, 2009 | 10:40 PM IST

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