साल बीतने में अभी कई महीने की देर है और कारोबारी उम्मीद कर रहे हैं कि साल के बचे दिनों में आधारभूत धातुओं जैसे सीसा, निकल और जस्ते का कारोबार कमजोर रहेगा।
एल्युमीनियम, तांबे और टिन में सुधार होने से इनकी कीमत में पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी की आर्श्चजनक कमी देखी जा रही है। जानकारों के अनुसार, बाजार की तेजी को बल देने वाले सारे कारक एक-एक करके नदारद हो रहे हैं।
सीसा, निकल और जस्ता की कीमतों में 50 फीसदी की हुई कमी यह बताती है कि बाजार से निवेशक नौ-दौ ग्यारह हो चुके हैं। फिलहाल इसका बाजार तेजड़ियों की बजाय मंदड़ियों की गिरफ्त में आ चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल के बचे दिनों में भी यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। महंगाई बढ़ने से पैदा हुए मंदी के हालात आखिरकार आधारभूत धातुओं को भी अपनी चपेट में ले चुका है।
उनके अनुसार, इस क्षेत्र में अभी और बिकवाली होने की उम्मीद है क्योंकि पिछले 18 महीनों तक तो इसमें जमकर निवेश होता आया है। बीते महीनों में हड़ताल की धमकी और ईंधन के महंगे होने से इन धातुओं की आपूर्ति में व्यवधान पड़ा है। लेकिन इस क्षेत्र से जुड़े खिलाड़ियों द्वारा इन धातुओं की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करने के प्रयासों के बाद अब इनकी उत्पादन-क्षमता में वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
यही नहीं, चीन में इन धातुओं के उत्पादन क्षमता में दो अंकों की विकास दर का प्रभाव सितंबर से दिखने की उम्मीद है। हां, तांबे का बाजार इस मामले में जरूर अपवाद है। जानी मानी संस्था नैटिक्सिस के मुताबिक, आधारभूत धातुओं की आपूर्ति में सुधार हो रहा है लेकिन इसकी मांग लगातार प्रभावित हो रही है। आवासीय निर्माण गतिविधियों के मंद पड़ने, आवासीय निर्माण सेक्टर में फैली मंदी का कारोबारी निर्माण सेक्टर की ओर रुख करने से अल्युमीनियम उत्पादों की मांग पर असर पड़ा है। न केवल अल्युमीनियम के फ्लैट रोल्ड बल्कि गैल्वीनीकृत स्टील, तांबे के पाइपों, तारों और सीसे का बाजार भी सुस्त हुआ है।
एल्युमीनियम के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी स्थितियों के कमजोर होने के बावजूद कई ऐसे बाहरी तत्व हैं जो इसकी कीमतों को थामे हुए हैं। ईधन के बढ़ते खर्च और उससे पैदा होने वाला बोझ एल्युमीनियम बाजार की दिशाएं तय कर रहा है। वैसे धातु जिन्हें तैयार करने में ऊर्जा का ज्यादा इस्तेमाल होता है, में निवेशकों की रुचि बने रहने से छोटी अवधि के लिए ही सही पर इसके नयी ऊंचाइयों पर पहुंचने की उम्मीद है।
तांबे की कीमत लागत के तिगुने हो जाने से पहले ही काफी चढ़ चुकी है। कच्चे माल की आपूर्ति में किल्लत होने से इसकी कीमत 8800 डॉलर प्रति टन तक पहुंच चुकी है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि बुनियादी चीजो के समर्थन के अभाव में इसमें अब कमजोरी आने ही वाली है। इसमें गिरावट का दौर शुरू हो चुका है पर ऐसा नहीं है कि आने वाले दो सालों में इसकी कीमत 7250 डॉलर प्रति टन तक पहुंच जाएगी। नैटिक्सिस का अनुमान है कि तांबे का भंडार 2008 में 75000 और 2009 में 125000 टन सरप्लस हो जाएगा।