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बढ़ सकती है चीनी उत्पादकों की मिठास

Last Updated- December 07, 2022 | 10:42 AM IST

चीनी उद्योग की मिठास तेज होने वाली है। अगले दो साल तक इस तेजी को बरकरार रखने के लिए कीमत की चाशनी लगती रहेगी।


ऐसा इसलिए कि आने वाले समय में हर कुछ चीनी के पक्ष में नजर आ रहा है। सरकार चीनी उद्योग से अपना नियंत्रण हटाने की तैयारी कर रही है। अगले साल चीनी के उत्पादन में गिरावट की पूरी उम्मीद है और विश्व बाजार में भी चीनी की आपूर्ति मांग के मुकाबले कम हो जाएगी। देश में चीनी का बफर स्टॉक 25 लाख टन से भी कम बचा है।

अगले दो सालों तक चीनी उत्पादकों के लिए मौजां ही मौजां का रुख नजर आ रहा है। इस साल 72-73 लाख टन चीनी के उत्पादन की उम्मीद है जो पिछले साल से लगभग 10 लाख टन कम है। गत महीने के मुकाबले चीनी में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। चीनी मिलों में इसकी कीमत 17 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गयी है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दया शुगर के सलाहकार डीके शर्मा कहते हैं, ‘चीनी का बाजार दो सालों तक तेज रह सकता है। विश्व बाजार में मौजूद अतिरिक्त चीनी का स्टॉक खत्म हो रहा है। और घरेलू बाजार में भी सरकार का बफर स्टॉक काफी कम हो चुका है। 20 लाख टन का जो स्टॉक था उसे निकाल दिया गया है और 30 लाख टन का जो अंतिम स्टॉक बचा था उनमें से भी 25 फीसदी निकल चुका है।’ चीनी उत्पादकों का यह भी कहना है कि सबसे बड़ा उत्पादक देश ब्राजील इन दिनों गन्ने की रस से एथनॉल बना रहा है।

फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2007-08 के दौरान ब्राजील में 56 फीसदी गन्ने का इस्तेमाल एथनॉल बनाने में किया गया। अगले सीजन में इसमें और बढ़ोतरी की संभावना है। मिल मालिकों की माने तो भारत में भी गन्ने की रस से एथनाल बनाने का काम शुरू हो चुका है। शर्मा कहते हैं, ‘अब हर चीज की कीमत विश्व बाजार के रुख से तय होती है। और चीनी इससे अछूती नहीं रह सकती है। पिछले एक साल के दौरान विश्व बाजार में चीनी की कीमत में 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।’ 

दूसरी ओर सरकार भी चीनी उद्योग से नियंत्रण हटाने का मन बना रही है। चीनी उत्पादकों का कहना है कि इस फैसले से उनके साथ किसानों को भी फायदा होगा। वे अपनी मर्जी से चीनी की बिक्री कर सकेंगे और इससे उन्हें किसानों को भुगतान करने के लिए पैसे की कमी नहीं रहेगी। फिलहाल चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता के मुताबिक बिक्री के कोटे निर्धारित होते हैं। इससेर् कई बार किसानों को भुगतान संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है।

उत्पादन में गिरावट की उम्मीद, ब्राजील गन्ने से एथनॉल बनाने में जुटा, बफर स्टॉक भी कम हुआ
सरकार कर रही चीनी उद्योग से अपना नियंत्रण हटाने की तैयारी
देश में चीनी का बफर स्टॉक 25 लाख टन से भी कम बचा है

First Published - July 11, 2008 | 12:07 AM IST

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