मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अभिजीत सेन समिति के सुझावों को देखने के बाद ही आवश्यक वस्तुओं को कमोडिटी एक्सचेंजों की सूची से हटाया जाएगा।
उम्मीद की जा रही है कि समिति अगले 10 दिनों में मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। अधिकारी ने जानकारी दी कि सरकार, समिति की रिपोर्ट के सारे पहलुओं पर विचार करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंच पाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस दिशा में निर्णायक बातचीत चल रही है।
सरकार ने जनवरी 2007 में तुर और उड़द के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा दी थी। इस साल के आम बजट में गेहूं और चावल के वायदा कारोबार को नामंजूर कर दिया गया है। सरकार ने थोक और खुदरा व्यापार पर वायदा कारोबार के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसके लिए 2 मार्च को नोटिफि केशन जारी कर दिया गया था और समिति को दो महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।
जिसका मतलब है कि समिति को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। मंत्रालय के नेता और बाबू आवश्यक वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगाने की वकालत कर रहे हैं लेकिन जानकार महंगाई दर बढ़ने में वायदा कारोबार की कोई भूमिका नहीं बता रहे हैं।
फिलहाल इस समय यह कहना बहुत मुश्किल है कि इस कठिन समय में आवश्यक कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा दी जाए। सूत्रों का कहना है कि वायदा कारोबार को लेकर बहुत ज्यादा प्रतिबंध नहीं लगने वाले हैं लेकिन खाद्य तेल, चीनी और आलू जैसी वस्तुएं प्रतिबंध के दायरे में आ सकती हैं।