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नवंबर से पहले खाद्य तेल में नरमी के नहीं आसार

Last Updated- December 07, 2022 | 9:02 AM IST

सरकार चाहे लाख यत्न कर ले, खाद्य तेलों के दाम में नवंबर के पहले कमी के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।


तेल की कीमत में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए सरकार अगस्त महीने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत कई राज्यों में सस्ते दामों पर खाद्य तेल बांटने की पूरी तैयारी भी कर ली है। इस साल देश में सोयाबीन के रकबे में भी बढ़ोतरी हुई है। और अच्छी फसल होने की भी उम्मीद की जा रही है।

लेकिन विश्व बाजार के हालात को देखते हुए सरकार की इन तमाम कोशिशों पर पानी फिरना तय है। विश्व बाजार में खाद्य तेल के उत्पादन में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं है। दूसरी ओर, कच्चे तेल की कीमत थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में अमेरिका व यूरोप में सोया व पाम ऑयल से बनने वाले बायोडीजल की मांग में बढ़ोतरी लाजिमी है।

सरकारी उपक्रम पीईसी ने 24 हजार टन कच्चे सोया तेल के आयात के लिए निविदा जारी की है। माना जा रहा है कि इस महीने तक इस तेल का आयात हो जाएगा। नेफेड पहले ही हजारों टन तेल का आयात कर चुका है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इन तेलों को बाजार कीमत के मुकाबले प्रति किलोग्राम 15 रुपये कम की दर से बांटेगी। खाद्य तेलों के थोक व्यापारी पवन गुप्ता कहते हैं, ‘इससे क्या होगा। 120 लाख टन की सालाना खपत में से 52-55 लाख टन देश को आयात करना पड़ता है।

सरसों तेल की कीमत नई फसल आने तक 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है।’ कारोबारी कहते हैं कि इस साल सोया की बुवाई भी पिछले साल के मुकाबले अधिक क्षेत्रों में की गयी है। लेकिन इसका असर तेल के बाजार भाव पर नहीं होने जा रहा है। सोयाबीन की बुवाई इस साल 7-9 लाख अधिक हेक्टेयर में होने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन विदेशी बाजार में सोया तेल की कीमत में लगातार तेजी रहने से इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कच्चे तेल की कीमत 142 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गयी है और विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें गिरावट की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

ऐसे में यूरोप व अमेरिका में बायोडीजल की मांग में उछाल जारी है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-07 के दौरान अमेरिका में सोया तेल से बनने वाले बायोडीजल का उत्पादन दोगुना हो गया। और इस साल इसमें 5-6 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है। उधर कच्चे वनस्पति तेलों के प्रमुख उत्पादक अजर्ेंटीना व मलेशिया को खाद्य तेल के मुकाबले बायोडीजल बनाने में ज्यादा लाभ हो रहा है। अर्जेंटीना व मलेशिया निर्यात करने के साथ अपने देश के लिए भी बायोडीजल बना रहे हैं।

इसके अलावा विश्व स्तर पर तिलहन (ऑयलसीड) के कुल उत्पादन में वर्ष 2006-07 के मुकाबले 3.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है। विश्व स्तर पर जनवरी, 2008 से अप्रैल 2008 के दौरान तिलहन की कीमत में 89 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। कारोबारियों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट से भी तेल आयातकों को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।

First Published - July 3, 2008 | 10:19 PM IST

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