महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा स्टील के निर्यात पर पाबंदी लगाने की अटकलों के बीच स्टेनलेस स्टील निर्माताओं ने कहा है कि देश में स्टेनलेस स्टील की कमी नहीं है और सरकार कार्बन स्टील इंडस्ट्री से इसे अलग करकेदेखे, जो कीमतों में बढ़ोतरी के बाद आलोचनाएं झेल रहा है।
इंडियन स्टेनलेस स्टील डिवेलपमेंट असोसिएशन (आईएसएसडीए) के प्रेजिडेंट एन. सी. माथुर ने वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को लिखे पत्र में कहा है कि देश में स्टेनलेस स्टील के डिमांड-सप्लाई की स्थिति को अलग नजरिए से देखे जाने की जरूरत है।माथुर ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में न तो इसकी सप्लाई में बाधा आई और न ही इसकी कीमतें बढ़ी है और इसे कार्बन स्टील इंडस्ट्री से अलग करके देखे, जिसका इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन व ऑटोमोटिव सेक्टर में होता है।
आईएसएसडीए का पत्र इस समय काफी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि स्टील मंत्री रामविलास पासवान ने लौह अयस्क के निर्यात पर ड्यूटी बढाने की बजाय तैयार स्टील के निर्यात पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है और इस हफ्ते होने वाली कैबिनेट कमिटी ऑन प्राइस की बैठक में इस पर विचार होना लगभग तय है। पासवान ने कहा था कि हमने तैयार स्टील के निर्यात पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की सिफारिश की है यह मामला कैबिनेट को भेज दिया गया है।माथुर ने कहा कि देश की जरूरत पूरी करने के बाद करीब 30 फीसदी स्टेनलेस स्टील का निर्यात किया जाता है।
उन्होंने कहा कि स्टेनलेस स्टील निर्माताओं ने पिछले साल मई में कीमतें बढाई थी क्योंकि तब निकल की कीमतें बढ़ गई थी। उन्होंने कहा कि जब निकल की कीमत घटी तो हमने भी स्टेनलेस स्टील की कीमत में कमी कर दी यानी इसका लाभ उपभोक्ताओं को दिया।माथुर ने कहा कि घरेलू बाजार में स्टेनलेस स्टील की मांग 12 फीसदी की दर से बढ़ रही है और इसके निर्माता 2010-11 तक इसमें 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने वाले हैं ताकि उत्पादन की कपैसिटी बढ़कर 32 लाख टन तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि 2015 तक हम 40 लाख टन कपैसिटी की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्टेनलेस स्टील का निर्यात पिछले 5 साल में 15 फीसदी बढ़ा है। माथुर ने स्टेनलेस स्टील के स्क्रैप व निकल पर लगने वाले सीमा शुल्क को समाप्त करने की मांग वित्त मंत्री से की है और भरोसा दिलाया है कि इसका लाभ वे उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगे।आईएसएसडीए के प्रेजिडेंट ने कहा कि स्टेनलेस स्टील के एक्सपोर्ट को रेग्युलेट करने की जरूरत नहीं है क्योंकि घरेलू मांग से ज्यादा उत्पादन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में 35 नॉन मेट्रो एयरपोर्ट का विकास होना है और इसमें निश्चित रूप से स्टेनलेस स्टील का उपभोग बढ़ेगा। रेल मंत्री लालू यादव भी स्टेनलेस स्टील से बने वैगन चलाने वाले हैं और इससे भी इसका उपभोग बढ़ेगा। फिलहाल जिंदल स्टील स्टेनलेस स्टील का सबसे बड़ा उत्पादक है और इसकी कपैसिटी 12 लाख टन की है।