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मालभाड़ा घटा तो पड़ेगा ट्रांसपोर्टरों पर असर

Last Updated- December 10, 2022 | 12:52 AM IST

शुक्रवार को पेश होने वाले अंतरिम रेल बजट से ट्रांसपोर्टरों को कोई राहत की उम्मीद नहीं है। उल्टा वे इस बात की आशंका जाहिर कर रहे हैं कि मालभाड़ा में कटौती होने से उनके कारोबार में और गिरावट आ सकती है।
ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि माल ढोने के मामले में पिछले दिनों उनकी हिस्सेदारी कम हुई जबकि रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। पहले माल ढोने के कुल कारोबार में रेलवे की हिस्सेदारी 22 फीसदी थी जो बढ़कर 32 फीसदी हो गयी।
ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओपी अग्रवाल कहते हैं कि शुक्रवार को पेश होने वाले अंतरिम रेल बजट में सरकार मालभाड़े में 5-10 फीसदी की कटौती करके या फिर माल ढोने की तय क्षमता में बढ़ोतरी करके रेलवे की हिस्सेदारी जरूर बढ़ाना चाहेगी।
इससे उन्हें निश्चित रूप से नुकसान होगा। उनका कहना है कि रेल मंत्रालय पिछले दिनों एक वैगन की ढुलाई क्षमता में 4 टन से अधिक की बढ़ोतरी कर दी। एक मालगाड़ी में अगर 50 वैगन है तो ढुलाई में 200 टन से अधिक की बढ़ोतरी हो गयी।
इससे रेलवे को होने वाले मुनाफे में इजाफा हो गया, लेकिन 50 साल पुरानी रेल पटरी की हालत जरूर खराब हो रही है। वहीं ट्रक की क्षमता में कोई इजाफा नहीं किया गया। एक ट्रक पर 16 टन माल ढोने की इजाजत है।
मोटर कांग्रेस के अध्यक्ष एचएस लोहारा कहते हैं कि सरकार को इस ब ात की सुध लेनी चाहिए कि रेल के जरिए जिस माल की ढुलाई हो रही है वह सही है या गलत। इस बात की कोई चेकिंग नहीं होती है जबकि सड़क मार्ग से जाने वाले मालों की जगह-जगह पर चेकिंग होती है।
ऐसे में बहुत से कारोबारी अपना माल सड़क के मुकाबले रेल से भेजना पसंद करते हैं। रेल से होने वाली ढुलाई में किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता है वहीं ट्रक से जाने वाले माल पर कई प्रकार के टैक्स लगते हैं।
सरकार सड़क के नाम पर भी टैक्स लेती है तो नई रेल पटरी बिछाने के लिए कोई टैक्स क्यों नहीं लिया जाता है। मालभाड़े में बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्टरों को थोड़ी राहत जरूर मिल सकती है, लेकिन इसकी कतई उम्मीद नहीं है। क्योंकि यह रेल बजट चुनावी बजट होगा।   

First Published - February 12, 2009 | 10:48 PM IST

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