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भारत की पैदावार से विश्व स्तर पर गेहूं में नरमी

Last Updated- December 06, 2022 | 12:03 AM IST

वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतें नीचे की ओर रुख कर रही हैं।इसकी वजह भारत में गेहूं की अनुमान से अधिक पैदावार का होना बताया जा रहा है।


गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं का उपभोक्ता है। इसलिए उम्मीद जताई जा रही थी कि भारत को गेहूं का आयात करना पड़ेगा लेकिन पैदावार अच्छी होने से इसकी संभावना खत्म हो चुकी है। सरकार ने औपचारिक तौर पर कह दिया है कि इस साल देश में गेहूं का आयात नहीं किया जाएगा।


पिछले साल ऑस्ट्रेलिया से गेहूं आयात करने के मामले में सरकार की न केवल विपक्षी पार्टी भाजपा बल्कि समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने भी खूब आलोचना की थी।भारत में सरकारी एजेंसियों ने अभी तक 1.4 करोड़ टन गेहूं की खरीद की है जो कि पिछले साल की तुलना में 36 लाख टन अधिक है। सरकार की ओर से कहा गया है कि जून के अंत तक रेकॉर्ड 7.68 करोड़ टन गेहूं उत्पादन की संभावना है।


फरवरी में दुनियाभर में गेहूं का भंडार कम होने से गेहूं का वायदा कारोबार बहुत तेजी से बढ़ गया था।अमेरिका में जिंस बाजार से जुड़ी रिस्क मैनेजमेंट कमोडिटीज के मुख्य विश्लेषक माइक जुजोलो का कहना है कि कारोबारी भारत की आपूर्ति सामान्य होने की ओर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीओटी) में जुलाई में गेहूं के वायदा कारोबार में 8.5 सेंट की कमी आई है और कीमत 8.155 डॉलर प्रति बुशेल तक पहुंच गई हैं। पिछले दो हफ्तों मेंकीमतों में 11 फीसदी की कमी आई है।

First Published - April 28, 2008 | 3:12 PM IST

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