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40 फीसदी कंपनी कर्ज के पुनर्गठन की जरूरत

Last Updated- December 15, 2022 | 3:38 AM IST

सूचीबद्घ कंपनियों के तिमाही नतीजों से पता चलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए प्रावधानों के तहत बैंकों को अपनी कॉरपोरेट ऋण बुक के बड़े हिस्से का पुनगर्ठन करना पड़ सकता है।
अप्रैल-जून 2020 तिमाही के शुरुआती वित्तीय नतीजों से संकेत मिलता है कि करीब 40 प्रतिशत कॉरपोरेट उधारी में उन कंपनियों का योगदान है जिन्होंने या तो तिमाही के दौरान नुकसान दर्ज किया या उनका ब्याज कवरेज अनुपात कमजोर रहा।
इस साल मार्च के अंत में इन सभी कंपनियों की कुल उधारी 10.7 लाख करोड़ रुपये थी। इसके अलावा करीब 6 लाख करोड़ रुपये की कॉरपोरेट उधारी उन कंपनियों से जुड़ी हुई है जो वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में मांग सुधार की गति धीमी रहने की स्थिति में वित्तीय दबाव की श्रेणी में आ सकती हैं।
कुल मिलाकर अब तक 612 कंपनियों (बैंकों और बीमा को छोड़कर) ने अपने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के नतीजों की घोषणा की है, जो सभी साूचीबद्घ कंपनियों का करीब 20 प्रशित हिस्सा है। इनमें से 93 कंपनियों ने तिमाही में परिचालन नुकसान दर्ज किया है जबकि अन्य 54 ने 1.5 गुना या इससे कम का ब्याज कवरेज अनुपात (आईसीआर ) दर्ज किया है। 6.33 लाख करोड़ रुपये की कुल उधारी वाली अन्य 26 कंपनियों ने पहली तिमाही के दौरान 1.5 गुना और 2 गुना के बीच आईसीआर दर्ज किया।
तुलनात्मक तौर पर, बिजनेस स्टैंडर्ड के सैम्पल में शामिल सभी 612 कंपनियों की संयुक्त उधारी इस साल मार्च के अंत में 25.8 लाख करोड़ रुपये थी।
परिचालन लाभ का अनुपात या एबिटा, आईसीआर किसी कंपनी की कर्ज देनदारियों के भुगतान की क्षमता के मापक हैं। रेटिंग एजेंसियों के अनुसार 1.5 गुना से कम का आईसीआर कंपनी को वित्तीय तौर पर दबाव के दायरे में आने का संकेत देता है जबकि 1 गुना से कम का अनुपात चूक का संकेत देता है। दो या इससे अधिक का आईसीआर स्वस्थ और वित्तीय तौर पर मजबूती का संकेत समझा जाता है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है, ‘जून 2020 की तिमाही के वित्तीय नतीजों से कंपनी की ऋण भुगतान क्षमता का सही अंदाजा नहीं लगा है क्योंकि मोरेटोरियम का लाभ लेने वाली कई कंपनियों ने तिमाही के लिए अपने लाभ और नुकसान खाते में ब्याज खर्च नहीं दिखाया है।’
आंकड़ों में बदलाव भी देखा जा सकता है, क्योंकि कई कंपनियां अपने जून तिमाही के नतीजों की घोषणा आगामी सप्ताहों में करेंगी।
कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधि में आई नरमी से पिछली दो तिमाहियों में भारतीय उद्योग जगत की आय पर भारी दबाव दर्ज किया गया है। यह प्रभाव पूंजी केंद्रित और ऋण-आधारित क्षेत्रों, जैसे इन्फ्रास्टक्चर, वाहन, पूंजीगत वस्तु, हॉस्पिटैलिटी, विमानन और एनबीएफसी में ज्यादा देखा गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि इन क्षेत्रों में कई कंपनियों को पिछली दो तिमाहियों में राजस्व और परिचालन लाभ में भारी गिरावट की वजह से अपने कर्ज चुकाने में समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
हमारे नमूने में शामिल 612 कंपनियों का संयुक्त परिचालन लाभ जून तिमाही में सालाना आधार पर 21 प्रतिशत घटा। समान अवधि में उनका ब्याज कवरेज अनुपात एकसाल पहले के 3.8 गुना से घटकर जून 2020 तिमाही में 2.9 गुना रह गया। यह अनुपात जून 2018 की तिमाही में 4.4 गुना के साथ काफी मजबूत था।
विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में भी आईसीआर पर दबाव बने रहने की आशंका है।

First Published - August 8, 2020 | 12:14 AM IST

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