चार ब्रोकरेज कंपनियों-मोतीलाल ओसवाल, सीएलएसए, प्रभुदास लीलाधर और शेयरखान रिसर्च के मुताबिक, वर्ष 2007-08 की अंतिम तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों की मुनाफा वृद्धि दर 15-20 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है।
गौरतलब है कि कमोडिटी की कीमतों में आई बेतहाशा तेजी और आपूर्ति में कमी के कारण एफएमसीजी कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ गई है। चौथी तिमाही में वनस्पति तेल, खाद्यान्नों और पाम ऑयल की कीमतों में करीब 23 फीसदी का उछाल आया है।
ऐसे में ज्यादातर एफएमसीजी कंपनियों ने अपने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं, ताकि उन्हें घाटा न उठाना पड़े। उधर, आईटीसी और हिंदुस्तान यूनीलिवर को विज्ञापन और प्रमोशन पर पहले से कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।रुपये की मजबूती के कारण आईटीसी, एचयूएल और नेस्ले जैसी आयातक कंपनियों की आय पर चौथी तिमाही में कुछ असर पड़ सकता है।
सीएलएसए के विश्लेषकों का मानना है कि एफएमसीजी कंपनियों को भी कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है। एचयूएल की राजस्व वृद्धि दर 13-14 फीसदी तक रह सकती है, जबकि मुनाफा दर 16 फीसदी तक रहने का अनुमान है।शेयरखान के विश्लेषकों के मुताबिक, एचयूएल के पर्सनल केयर सेंगमेंट की वृद्धि दर 14.5 फीसदी तक हो सकती है। आईटीसी के पर्सनल केयर सेंगमेंट में उतरने की वजह से इसे अन्य एफएमसीजी उत्पादों में घाटा उठाना पड़ सकता है। मैरिको ने सफोला गोल्ड की कीमत 10-12 फीसदी बढ़ा दी है।