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अवेंतिस घरेलू बाजार से बढ़ाएगी कारोबार

Last Updated- December 06, 2022 | 1:01 AM IST

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी औषधि निर्माता कंपनी सनोफी-अवेंतिस की भारतीय इकाई अवेंतिस फार्मा लिमिटेड अपना घरेलू कारोबार बढ़ाने की योजना बना रही है।


कंपनी निकट भविष्य में निर्माण और अपनी अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए भारत को एक प्रमुख केंद्र बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।कंपनी के प्रबंध निदेशक शैलेश अय्यंगर ने इंसुलिन की खुराक के लिए तैयार किए गए अपने इंजेक्शन ‘सोलोस्टार’ के लांच के अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अनौपचारिक रूप से कहा, ‘पेरिस मुख्यालय में हमारे शीर्ष अधिकारी भारत में बड़ा निवेश करने के लिए कमर कस चुके हैं।


लेकिन अभी ब्यौरा नहीं मिल सकता। वैसे जरूरत के मुताबिक निवेश होगा’फिलहाल सनोफी-अवेंतिस के अंकलेश्वर और गोवा में दो बड़े दवा निर्माण संयंत्र हैं। अंकलेश्वर का संयंत्र एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) से जुड़ा हुआ है वहीं  गोवा के संयंत्र में टेबलेट का निर्माण किया जाता है। कंपनी ने वैश्विक बाजारों के लिए ऑफ-पेटेंट जेनरिक दवाओं को विकसित करने के लिए गोवा में हाल ही में वैश्विक औषधि अनुसंधान एवं विकास केंद्र पर 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है।


तकरीबन 40 वैज्ञानिकों से लैस यह केंद्र फिलहाल 12 जेनरिक उत्पादों को विकसित कर रहा है। कंपनी जल्द ही इस केंद्र में और निवेश करेगी तथा वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाएगी।फिलहाल अवेंतिस फार्मा भारत से 200 करोड़ रुपये के औषधीय उत्पादों का निर्यात करती है जिनमें वैश्विक बाजारों के लिए ब्रांडेड पैरासीटामोल और सनोफी का मेटाबोलिक ड्रग डाओनिल भी शामिल हैं।


कंपनी के एंटी-रैबीज टीके ‘रैबीपुर’ ने भारत में 62 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ कुल राजस्व में 16 प्रतिशत का योगदान किया है। शैलेश आयंगर ने बताया कि कंपनी अपनी मौजूदा दवाओं, एंटी-डायबिटीज, सेंट्रल नर्वस सिस्टम और ऑनकोलोजी उत्पादों को उन्नत बनाने की भी योजना बना रही है। उन्होंने बताया कि कंपनी ग्रामीण इलाकों और दूसरे दर्जे के शहरों में उपस्थिति बढ़ाने के लिए अधिग्रहणों की संभावना भी तलाश रही है।


सनोफी-अवेंतिस भारत में चिकित्सकीय परीक्षण के बढ़ रहे अवसरों पर भी नजर रख रही हे। इसे देखते हुए कंपनी पहले ही एक चिकित्सकीय अनुसंधान इकाई शुरू कर चुकी है जिसमें 40 लोग काम करते हैं। कंपनी फिलहाल भारत में 12 क्लीनिकल ट्रायल संचालित करती है। वह 123 यौगिकों  का विकास कर रही है, जिनमें 48 का मानवीय क्लीनिकल ट्रायल दूसरे या तीसरे चरण तक पहुंच चुका है।

First Published - May 1, 2008 | 12:05 AM IST

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