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विमान ईंधन की कीमतों में हो गई कटौती

Last Updated- December 07, 2022 | 4:01 AM IST

विमान ईंधन की कीमत में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कीमतों में 4.5 प्रतिशत तक की कटौती करनी पड़ी।


बुधवार को सरकार की ओर से ईंधन पर सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर देने के बाद कंपनियों को यह कदम उठाना पड़ा है। विमान ईंधन (एटीएफ) की लागत दिल्ली में पहले 69,227.08 रुपये प्रति किलोमीटर थी, वहीं 4.33 प्रतिशत की कटौती के बाद यह अब 66,226.66 रुपये होगी।

इसी के साथ एयरलाइन कंपनियों के शेयरों की कीमतें लगभग 7.3 प्रतिशत बढ़ गई हैं। गौरतलब है कि एटीएफ की कीमतों में कटौती के बावजूद विमानन कंपनियां हवाई किराए में कोई कमी करने को राजी नहीं हैं।1 जून को एटीएफ कीमतों में 18 प्रतिशत की वृध्दि ने जेट एयरवेज और किंगफिशर जैसी तमाम बड़ी विमानन कंपनियों को किरायों में 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने पर मजबूर कर दिया था।

जेट के प्रवक्ता का कहना है कि 31 मई को हुए तेज उछाल के बाद एयरलाइन की लागत पर असर डालने के लिए आज हुई कटौती बेहद कम है। किंगफिशर के अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे। कम किराए वाली विमान कपंनियों जैसे स्पाइसजेट, गोएयर और इंडिगो का कहना है कि चूंकि जब इस महीने की शुरुआत में विमान ईंधन की कीमतें बढ़ाई गई थीं, तब हवाई किरायों में इजाफा नहीं किया था, इसलिए वे अब किरायों में कमी नहीं करेंगी।

गोएयर के मुख्य वित्त अधिकारी जीपी गुप्ता का कहना है, ‘हमनें ईंधन अधिभार में कोई इजाफा नहीं किया था और इसलिए अब कटौती का तो सवाल ही नहीं है।’ ईंधन की अधिक कीमतों के कारण एयरलाइनों को जोर का धक्का लगने की उम्मीद है और इसी के साथ वित्त वर्ष 2008-09 के लिए उद्योग का नुकसान 8 हजार करोड़ रुपये के आसमान को छू जाएगा जो वित्त वर्ष 2007-08 में उद्योग को हुए नुकसान से दोगुना है।

जिन राज्यों में एटीएफ सस्ता है, उन राज्यों में विमानों में ईंधन डलवाने जैसे प्रयासों के अलावा, स्पाइसजैट और इंडिगो जैसी विमानन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ानों के नियमों में कुछ ढिलाई बरती जाए, इस ओर प्रयास कर रही हैं। एयरलाइनों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय परिचालनों से एयरक्राफ्ट का बेहतर इस्तेमाल हो सकता है, साथ ही साथ इससे विमान ईंधन की लागत में बचत में वृध्दि भी होगी, क्योंकि विदेश में ईंधन 75 प्रतिशत सस्ता है। एयरलाइनों ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कल
सूचित किया कि आगे उनके पास घरेलू क्षमता को 20 प्रतिशत से कम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

First Published - June 6, 2008 | 12:31 AM IST

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