जीएसएम मोबाइल सेवा के भारतीय अखाड़े में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी दिग्गज कंपनी भारती एयरटेल इस पूरे हफ्ते खबरों में बनी रही।
उसकी वजह भी काफी दिलचस्प रही। दरअसल भारती दक्षिण अफ्रीकी दूरसंचार कंपनी एमटीएन में हिस्सेदारी खरीदने जा रही है। हालांकि कंपनी ने बार-बार इस बात को नकारा और साफ तौर पर कहा कि अभी बातचीत शुरुआती दौर में है और हो सकता है कि कोई सौदा न हो सके।
लेकिन बाजार में यह खबर आग की तरह फैल गई कि वह एमटीएन का अधिग्रहण करने के लिए तैयार है। खबर फैलनी भी थी। किसी भी भारतीय कंपनी ने विदेशों में कभी इतना बड़ा अधिग्रहण नहीं किया है। टाटा स्टील ने कोरस का जो अधिग्रहण किया था, उसमें भी 1370 करोड़ डॉलर ही खर्च हुए थे।
लेकिन भारती की नजर एमटीएन की 51 फीसद हिस्सेदारी पर लगी है, जिसकी कीमत तकरीबन 1,900 करोड़ डॉलर है यानी कोरस के मुकाबले इस सौदे में लगभग डेढ़ गुना खर्च होगा। भारती एयरटेल कुल 4,200 करोड़ डॉलर की कंपनी है।
हालांकि एमटीएन के अधिग्रहण के लिए अभी र्कोई और कंपनी मुकाबले में नहीं आई है, लेकिन अगर ऐसा हो जाता है, तो भारती एयरटेल को हिस्सेदारी खरीदने के लिए 2,000 करोड़ डॉलर यानी लगभग 80,000 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
अब सौदा इतना बड़ा था, तो भारती के शेयरों पर इसका असर पड़ना भी लाजिमी था। अफ्रीका की सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर को खरीदने के लिए भारी भरकम रकम का बंदोबस्त भारती कहां से करेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं था। इसीलिए कंपनी के शेयर धड़ाम से गिर पड़े। सोमवार की इस खबर के बाद कंपनी के शेयरों में बुधवार तक 8.7 फीसद की गिरावट आई। लेकिन गुरुवार को शेयरों में कुछ सुधार हुआ।
बहरहाल, जानकारों के मुताबिक बाजार और कारोबार दोनों ही लिहाज से कंपनी का यह कदम काफी मुफीद साबित हो सकता है। दरअसल अफ्रीका ऐसा इलाका है, जहां मोबाइल का बहुत बड़ा बाजार है और खिलाड़ी बहुत कम। अगर एमटीएन के साथ भारती का तालमेल हो जाता है, तो उसे अफ्रीका का सूना पड़ा बाजार मिल जाएगा, जो 24 कैरट सोने की तरह खरा सौदा साबित होगा।
एमटीएन के पास इस साल मार्च तक 6.82 करोड़ ग्राहक थे, जबकि भारती के पास भारत में 6.2 करोड़ ग्राहक ही हैं। भारती के मुखिया सुनील भारती मित्तल के लिए खास तौर पर यह काफी अहम है। इसके बाद कंपनी ग्राहकों के मामले में दुनिया की छठी सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है।
यही वजह है कि मित्तल इस अधिग्रहण में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा, ‘हालांकि ऋण मिलना आसान नहीं है, लेकिन इस सौदे के लिए रकम जुटाने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे ऊपर पहले से कर्ज बहुत कम है और कंपनी का बहीखाता काफी अच्छी हालत में है।’
मशहूर आर्थिक पत्रिका इकॉनॉमिस्ट के मुताबिक भी भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच महात्मा गांधी के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण मामला होगा। वैसे भी एयरटेल सस्ती दरों पर कॉल मुहैया कराने के मामले में हमेशा सबसे आगे रही है। अगर दक्षिण अफ्रीका में भी कंपनी ने यही नीति अपनाई, तो उसे मुनाफा होना तय है।