डीटीएच के बाजार में कंपनियों के बीच चल रहा मुकाबला और कड़ा हो गया है। इस क्षेत्र में एक और नए खिलाड़ी भारती टेलीमीडिया ने गुड़गांव में अपनी डीटीएच सेवा का ‘टेस्ट लॉन्च’ शुरू कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक भारती ने अपनी डीटीएच सेवा के परीक्षण के लिए 80-100 सेट टॉप बॉक्स गुड़गांव के कुछ चुनिंदा घरों में लगा दिए हैं। अगर इस दौरान सब सही रहता है तो कंपनी अगस्त-सितंबर के आसपास देश भर में अपनी डीटीएच सेवा शुरू कर देगी।
फिलहाल इस क्षेत्र में सेवा मुहैया करा रही डिश टीवी सब्सक्राइब करने के लिए 2,490 रुपये और टाटा स्काई की सेवा के लिए 2,674 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारती के आने से डीटीएच सेवा सब्सक्राइब करने के लिए अब उपभोक्ताओं को कम रुपये खर्च करने पड़ेंगे। डिश टीवी और टाटा स्काई के ग्राहकों की संख्या लगभग 53 लाख है। इसके साथ ही दोनों कंपनियां हर महीने लगभग 1 लाख नए ग्राहक बनाती है।
डीटीएच सेवा का फायदा उठाने के लिए ग्राहकों को पहले सेट टॉप बॉक्स खरीदना पड़ता है। इसके बाद हर महीने उन्हें कंपनी की सेवा के लिए सब्सक्राइब करना पड़ता है। डिश टीवी के ग्राहकों को इसके लिए 160 रुपये और टाटा स्काई के ग्राहकों को 175 रुपये प्रति महीना चुकाने पड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस क्षेत्र में आने वाले नए खिलाड़ी ग्राहकों को अपनी तरफ खींचने के लिए कई आकर्षक ऑफर और छूट दे सकते हैं। रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह ने भी बिग टीवी नाम से अपनी डीटीएच सेवा का टेस्ट लॉन्च शुरू कर दिया है।
अभी कंपनी अपने कर्मचारियों को ही यह सेवा दे रही है। बिग टीवी भी आने वाले महीनों में देश भर में अपनी सेवा शुरू करने वाली है। अभी तक ग्राहकों के पास डीटीएच सेवा लेने के लिए दो कंपनियों में से ही किसी एक कंपनी का चुनाव करना पड़ता है। लेकिन आने वाले महीनों में टाटा स्काई और डिश टीवी के अलावा बिग टीवी, भारती और वीडियोकॉन जैसे और विकल्प भी मौजूद होंगे। भारती के एक अधिकारी ने कहा, ‘भारती अपनी डीटीएच सेवा के तहत ग्राहकों को लगभग 220 चैनलों की सुविधा देगी। इसके लिए कंपनी ने सभी प्रसारकों से बातचीत भी कर ली है।’
डीटीएच सेवाओं के विशेषज्ञों के अनुसार, ‘इस क्षेत्र में आने वाले नए खिलाड़ी सेवा मुहैया कराने के लिए एमपीईजी -4 तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं। अभी तक कंपनियां एमपीईजी-2 तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं। एमपीईजी-4 इस श्रेणी में सबसे नई तकनीक है और कई देशों में तो अभी तक इसका परीक्षण ही चल रहा है।