ईंधन की कीमतों में इजाफा होने से सरकारी तेल कंपनियों को कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन रिलायंस के बंद पड़े पेट्रोल पंपों के मालिक अब भी अपनी किस्मत को नहीं पढ़ पा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश और तमाम दूसरे राज्यों में कंपनी के पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं और उनके बारे में किसी को अब कुछ नहीं पता है। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने सरकारी तेल कंपनियों की रियायती कीमतों के मुकाबले ज्यादा कीमत पर ईंधन बेचने से हो रहे घाटे को देखते हुए पिछले महीने अपने आउटलेट बंद कर दिए थे।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम के आउटलेटों के मुकाबले रिलायंस के आउटलेट पर पेट्रोल 10 रुपये और डीजल लगभग 6 रुपये महंगा बिक रहा था। रिलायंस के एक डीलर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी ने अब तक उन्हें नहीं बताया है कि आगे क्या होगा। उसने कहा, ‘हमने जो निवेश किया था, हमें नहीं पता कि अब उसका क्या होगा और रिलायंस इस बारे में कुछ नहीं बोल रही है।’
आरआईएल के अधिकारियों ने 12 मई को लखनऊ में डीलरों के साथ बैठक की थी और तालाबंदी के बाद उनके राय-मशविरे और शिकायतों के बारे में बातचीत की थी। उसके बाद वाराणसी और इलाहाबाद में भी ऐसी बैठकें की गईं।
एक अन्य डीलर ने शिकायत की कि 4 से 5 करोड़ का जो निवेश इन आउटलेटों पर किया गया था, वह बर्बाद हो रहा है क्योंकि आरआईएल की ओर से कोई सकारात्मक जवाब ही नहीं आ रहा है। कई डीलरों ने तो कर्ज लेकर आउटलेट खोले थे और अब उनकी कमाई ही बंद हो गई है।
खबरें तो इस तरह की भी हैं कि आरआईएल इन आउटलेट्स को अब मॉल्स और मल्टीप्लेक्स में तब्दील करने की योजना बना रही है। लेकिन कंपनी के प्रवक्ता ने इसे अटकलबाजी बताया। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम निजी तेल विक्रेता कंपनियों के लिए भी बराबरी का मुकाबला तय करने के लिए सरकारी नीतियों का इंतजार कर रहे हैं, जो कंपनी, डीलरों और उपभोक्ताओं के हित में होगा।’