उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि अगर दिवालिया फर्में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये का भुगतान नहीं करती हैं तो इसका भुगतान उन कंपनियों को खरीदने वाले दूरसंचार ऑपरेटरों को करना होगा। वीडियोकॉन लिमिटेड को स्पेक्ट्रम तथा उससे संबंधित बकाये का भुगतान करना चाहिए, अगर वह ऐसा नहीं करती है तो दिवालिया दूरसंचार फर्म को खरीदने वाली भारती एयरटेल को देनदारी बनेगी।
अदालत ने कहा कि ट्रेडिंग दिशानिर्देशों के के मुताबिक पिछले बकाये का भुगतान स्पेक्ट्रम हस्तांतरित करने से पहले करना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ है तो वीडियोकॉन के स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण करने वाली भारती एयरटेल को उसका भुगतान करना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने उनकी ओर से मांगे गए विवरण साझा नहीं किए हैं। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा, ‘हम आरकॉम के स्पेक्ट्रम के उपयोग के आधार पर रिलायंस जियो की देनदारी तय करना चाहते हैं।’ अदालत ने दूरसंचार विभाग को दिवालिया कंपनियों द्वारा साझा किए गए स्पेक्ट्रम तथा उक्त स्पेक्ट्रम की बकाया राशि का ब्योरा दाखिल करने का निर्देश दिया है। विभाग को स्पेक्ट्रम का पूरा बकाया और आवंटन के बाद से उस स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों का ब्योरा देने को कहा है।
वीडियोकॉन के समाधान पेशेवर ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘हमारे ऊपर कॉरपोरेट ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया के इतर कोई देनदारी नहीं बनती है। एजीआर बकाया को आईबीसी के तहत परिचालन बकाया माना जाएगा।’ रिलायंस जियो की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, ‘हमें सरकार से अतिरिक्त बकाये के बारे में कोई नोटिस नहीं मिला है।’ साल्वे ने कहा कि अदालत का आदेश कहता है कि स्पेक्ट्रम की बिक्री नहीं हो सकती, इससे एजीआर बकाये की वसूली में मदद नहीं मिलेगी। अगर बिक्री की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसे विभाग को लौटा दिया जाएगा। स्पेक्ट्रम बिक्री का मसला राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट पर छोड़ देना चाहिए।
भारती एयरटेल की ओर पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘एयरटेल को भी सरकार की ओर से अतिरिक्त बकाया का कोई नोटिस नहीं मिला है।’ दूरसंचार विभाग के अनुसार भारती एयरटेल पर करीब 43,780 करोड़ रुपये का बकाया है जिनमें से कंपनी ने 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी।