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सेलफोन कंपनियों ने पकडी ‘क़ल के बाजार’ की राह

Last Updated- December 07, 2022 | 2:40 AM IST

सेलफोन अब शहरों खास तौर पर महानगरों के दायरे में ही नहीं रह गए। छोटे शहरों और गांव- कस्बों भी मोबाइल फोन रखने का प्रचलन तेजी से बढ़ा है।


रिलायंस, एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियां भी कस्बों और गांवों तक पांव पसार रही हैं, जिसकी वजह से सेलफोन निर्माता कंपनियों ने इस नए और बढ़ते बाजार का रुख कर लिया है।

बाजार के जानकारों का कहना है कि महानगरों का बाजार अब धीरे-धीरे ठहराव की ओर बढ़ रहा है और भविष्य का हैंडसेट बाजार छोटे शहरों में ही मौजूद है। हैंडसेट बनाने वाली कंपनियां भी छोटे शहरों और गांवों में बाजार बढ़ने की बात मानती हैं। नोकिया, सैमसंग, एलजी और मोटोरोला जैसी कंपनियों को ‘कल का बाजार’ छोटे शहरों, गांवों-कस्बों में ही दिख रहा है।

बाजार में हिस्सेदारी के लिहाज से भारत में नोकिया इंडिया सबसे बड़ी सेलफोन निर्माता कंपनी है। उसके मार्केटिंग निदेशक देविंदर किशोर ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘भारत में अगले 25 करोड़ सेलफोन ग्राहकों में से लगभग 10 करोड़ कस्बाई और ग्रामीण इलाकों से ही आने वाले हैं। देश में कुल मोबाइल फोन ग्राहकों में इन इलाकों की हिस्सेदारी अभी महज 25 फीसद है। जाहिर है, बाजार का अगला विस्फोट यहीं होने वाला है।’

सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की दक्षिण पश्चिम एशिया क्षेत्र की कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस महाप्रबंधक रुचिका बत्रा भी किशोर की बात से पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘नए ग्राहक तो कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों से ही आ रहे हैं, इसलिए विस्तार की रफ्तार तो उसी बाजार में होगी। यह बात अलग है कि इंट्री लेवल यानी कम कीमत के फोन इन क्षेत्रों में पहली पसंद बन रहे हैं, लेकिन बाजार तो बढ़ ही रहा है।’

एलजी और मोटोरोला भी छोटे शहरों, कस्बों और गांवों के बाजार पर खास ध्यान दे रही हैं। तकरीबन सभी कंपनियों ने इस बाजार पर कब्जा करने के लिए कमर कस ली है।किशोर ने बताया कि छोटे शहरों और गांवों पर नोकिया ज्यादा ध्यान दे रही है और इंट्री लेवल फोन पर वह जोर दे रही है। कंपनी वहां के ग्राहकों के मिजाज के मुताबिक ही हैंडसेट बना रही है। इसके अलावा एयरटेल या रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसे मोबाइल ऑपरेटरों के साथ हाथ मिलाकर भी वह इन इलाकों में पैठ बना रही है।

सैमसंग ने हालांकि इस बाजार के लिए अलग से कोई रणनीति तैयार नहीं की है, लेकिन कंपनी इसमें मौजूद अवसरों की ओर से बेपरवाह भी नहीं है। बत्रा के मुताबिक कंपनी को इस बाजार में सस्ते हैंडसेट की बिक्री की ही उम्मीद है। इसलिए वह अपने डीलरों और वितरण नेटवर्क के जरिये इन इलाकों में मौजूदगी दर्ज करा रही है।

एलजी इंडिया के जीएसएम कारोबार के समूह प्रमुख अनिल अरोड़ा ने कहा, ‘छोटे शहरों और गांवों में हमारा भी अच्छा बाजार है। लेकिन उसमें आगे बढ़ने के लिए हम सस्ते हैंडसेट उतारने की चाल बिल्कुल नहीं चलेंगे। हम वहां के ग्राहकों को भी आधुनिक फोन खरीदने का मौका देंगे। हालांकि वहां महंगे फोन नहीं खरीदे जाते, लेकिन कस्बाई ग्राहक भी आधुनिक फीचर वाले फोन चाहने लगा है।’

मोटोरोला मोबाइल डिवाइसेज के भारत और दक्षिण पश्चिम एशिया के मार्केटिंग निदेशक लॉयल मथायस भी कस्बों में केवल इंट्री लेवल फोन का बाजार होने की बात से इनकार करते हैं। उन्होंने कहा, ‘गांवों और कस्बों का ग्राहक भी अब ज्यादा फीचरों वाला फोन चाहता है और इसके लिए वह कुछ ज्यादा रकम खर्च करने को भी तैयार है। कस्बों और गांवों में भी लोगों की आय ज्यादा हो गई है और हैंडसेट की कीमत कम होती जा रही हैं। इसी वजह से हम गांवों और कस्बों में हर किस्म के हैंडसेट मुहैया कराते हुए बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा करना चाहते हैं।’

First Published - May 29, 2008 | 1:07 AM IST

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