चीन से आयात होने वाले सस्ते ऑटो पुर्जे भारतीय कंपनियों के पुर्जो पर काफी भारी पड़ रहे हैं। भारतीय कार निर्माता कं पनियों और दोपहिया कंपनियों ने तो चीनी कंपनियों को बड़े -बड़े ऑर्डर पहले से ही दे रखे हैं।
कई कंपनियों ने तो वहां से इनका आयात करने के लिए चीन में कार्यालय भी खोल लिए हैं। इस बारे में भारतीय कंपनियां दलील देती हैं कि इस महंगाई में चीनी पुर्जे काफी सस्ते पड़ते हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अध्यक्ष (ऑटोमेटिव) पवन गोयनका ने कहा, ‘कई बार बने बनाए चीनी पुर्जो की कीमत यहां उन्हीं पुर्जों के कच्चे माल से भी कम होती है।’
2003-04 तक चीन से मात्र 1.5 फीसदी पुर्जों का आयात किया जाता था, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 10 फीसदी हो गया है। ऑटो पुर्जे बनाने वाली भारतीय कंपनियों का कहना है कि चीनी पुर्जों की कीमत लगभग 30 फीसदी कम होती है। चीनी पुर्जों के कारण भारतीय कंपनियां निर्माण लागत बढ़ने के बाद भी पुर्जो की कीमतें नहीं बढ़ा सकती हैं। इसका उद्योग पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है।
ऑटो कंपनियों के लिए शीशा बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी असाही इंडिया के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक संजय लब्रू ने बताया, ‘पिछले दो साल में शीशा की निर्माण लागत में लगभग 50 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि इसकी कीमत में मात्र 10 फीसदी का ही इजाफा हुआ है।’ भारत में इस बाजार पर कंपनी की हिस्सेदारी लगभग 80 फीसदी है।
श्रीराम पिस्टंस ऐंड रिंग्स के अध्यक्ष अशोक तनेजा ने कहा, ‘यह उद्योग बड़े इस्पात निर्माता और ऑटोमोबाइल उद्योग के बीच में पिस रहा है।’ 33 कंपनियों पर किये गये आईसीआरए के अध्ययन के मुताबिक मार्च 2008 को समाप्त हुई तिमाही में इन कंपनियों का मुनाफा 19 प्रतिशत घटकर 285 करोड़ रुपये हो गया है। इनमें से सिर्फ पांच कंपनियां ही मुनाफा कमा पाई थीं।
कुछ दिन पहले ऑटोमेटिव कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन की एक टीम यह जानने चीन गई कि आखिर वहां इतने सस्ते पुर्जे कैसे बनाए जाते हैं। इसी टीम के एक सदस्य ने बताया, ‘हमें सिर्फ आधी जानकारी ही मिली है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की बड़ी इस्पात इकाइयों के साथ ही कम कीमत पर मौजूद श्रम शक्ति भी काफी है।