नवरत्न का दर्जा पाने के सपने देखने वाली कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का प्रस्तावित आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम) वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग से मिले हल्के इशारे के बाद अपने रास्ते वापस लौट आया है।
कोयला मंत्री संतोष बगरोडिया ने पुष्टि की है कि वित्त मंत्रालय ने कंपनी से कुछ विवरण मांगा है। उन्होंने कहा, ‘हमने कोल इंडिया से सूचना मांगी है।’ कोल इंडिया ने दो साल पहले अपने आईपीओ की बात कही थी, लेकिन कंपनी ने निर्णय किया था कि वह नवरत्न का दर्जा हासिल करने के बाद ही इन्हें सार्वजनिक करेगी, जिससे कंपनी को वित्तीय और प्रबंधकीय स्वायत्ता हासिल होगी और इससे बेहतर मूल्यांकन होगा।
हालांकि, मौजूदा नीति नवरत्न कंपनी (यह दर्जा जल्द हासिल करने की है उम्मीद कंपनी को) में सरकारी निवेश पर ध्यान नहीं देती, वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव में आईपीओ को नवरत्न दर्जा मिलने से पहले लाना है। पिछले महीने वित्त मंत्रालय ठीक इसी स्थिति में था जब एनटीपीसी लिमिटेड (नवरत्न कंपनी) का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) आया था।
मंत्रालय इस प्रस्ताव के समर्थन में नहीं था, क्योंकि वह विनिवेश नीति के खिलाफ था। देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी के आईपीओ के तहत सरकारी हिस्सेदारी को बेच दिया जाएगा और उसके अलावा नए शेयर भी जारी किए जाएंगे, हालांकि कंपनी के मुताबिक उसका मकसद पैसे उगाहना नहीं है।
कोल इंडिया के चेयरमैन पार्थ भट्टाचार्य का कहना है, ‘हमें पैसे की कोई जरूरत नहीं है। मूलत: हमारा मकसद कंपनी को आवश्यक कंपनी नियंत्रण के तहत लेकर आना है।’ बाजार विश्लेषक हालांकि मानते हैं अभी माहौल किसी भी बड़े आईपीओ के लिए सहायक नहीं है।
मुंबई के एक विश्लेषक ने सेंसेक्स और निफ्टी में आई हालिया गिरावट का हवाला देते हुए कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय आईपीओ को लेकर जरूर गौर करेगा, क्योंकि इक्विटी के लिए जितना बेहतर मूल्यांकन हो सके उसे पाने के लिए अभी इंतजार करना होगा।’