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कारोबार बढ़ाने के लिए कंपनियां आजमा रही हैं ‘फील गुड’ के हथियार

Last Updated- December 07, 2022 | 1:44 PM IST

कर्मचारी अगर खुश हैं, तो कारोबार या मुनाफा न बढ़े ऐसा हो ही नहीं सकता। इसे भारतीय कॉर्पोरेट जगत भी बखूबी समझ गया है, इसलिए वह अपने कर्मचारियों के साथ बेहतर संपर्क बनाने और उन्हें खुश करने के लिए फील गुड हथियार आजमा रहा है।


कंपनियों के मुताबिक कर्मचारी यदि पूरी तरह संतुष्ट होता है, तो कंपनी के लिए उसका योगदान बढ़ जाता है और ऐसे में उन्हें कारोबारी नतीजे भी पहले से बेहतर ही हासिल होते हैं। यही वजह है कि ई मेल करने से लेकर कार्ड भेजना या गाहे-बगाहे पार्टी का आयोजन करना जैसी रणनीतियों के जरिये कंपनियां उन्हें सक्रिय रूप से अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश करती रहती हैं।

उपभोक्ता उपकरण और सेलफोन बनाने वाली प्रमुख कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की महाप्रबंधक (स्ट्रैटेजी ऐंड प्लानिंग)  रुचिका बत्रा कहती हैं, ‘हमारे लिए सबसे अहम कर्मचारी ही होता है। सभी कंपनियों के कारखानों में मशीनरी और प्रौद्योगिकी तो कमोबेश एक सी होती है। ऐसे में किसी कंपनी की कामयाबी या नाकामी उस मशीन पर नहीं, बल्कि उसके कर्मचारियों पर निर्भर करती है। यदि कर्मचारी खुश है, तो कंपनी का परवान चढ़ना तय है।’

उन्होंने बताया कि सैमसंग की कोरिया या चीन की फैक्ट्रियों में जो तकनीक है, वही नोएडा की उसकी फैक्ट्री में भी है। इसके बावजूद कंपनी को सबसे ज्यादा उत्पादकता नोएडा वाले संयंत्र से ही मिलती है क्योंकि यहां कर्मचारियों का काम करने का तरीका अलग है। बत्रा के मुताबिक दूसरी कंपनियों की तरह सैमसंग भी इसके लिए कई तरह के तरीके अपनाती है। इनमें ई मेल करना, अच्छा प्रदर्शन करने पर बधाई कार्ड भेजना, कंपनी प्रमुख की ओर से संदेश आना, कर्मचारियों का सम्मेलन करना और बड़ी पार्टियों का आयोजन करना शामिल है।

तेल उत्खनन कंपनी एचएलएस एशिया के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख कमांडर अशोक कुमार भी कर्मचारियों और ग्राहकों को खुश रखने के तरीकों पर भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘कर्मचारियों के दूसरी कंपनियों में जाने की दर आजकल बहुत बढ़ गई है। ऐसे में यदि उनके साथ बेहतर संपर्क नहीं रखा जाता है, तो कंपनियों के लिए घाटा होता है। उसे अपने साथ जोड़ने के लिए पैसा ही काफी नहीं होता है क्योंकि वह तो उसे दूसरी कंपनी से भी मिल सकता है। इसके लिए कर्मचारी के साथ भावनात्मक जुड़ाव जरूरी है। इसके लिए हम ही नहीं दूसरी कंपनियां भी कोशिशें कर रही हैं।’

ग्राहकों के साथ संपर्क बढ़ाना भी कंपनियों की मार्केटिंग रणनीति में शामिल होता है। तमाम सर्वेक्षणों के अनुसार उत्पाद बेचने के बाद कंपनियां ग्राहकों की सुध लेना बंद कर देती हैं और इस तरह वे ग्राहक गंवा भी देती हैं। इसके उलट यदि ग्राहक के साथ उनका लगातार संपर्क बना रहे, तो उन्हें कई नए ग्राहक मिलते भी हैं।

वाहन बनाने वाली दिग्गज कंपनी हीरो होंडा लिमिटेड का ‘पासपोर्ट कार्यक्रम’ इसका उदाहरण है। इसके तहत वाहन खरीदते ही ग्राहक को कंपनी पासपोर्ट देती है, जिसके साथ उसकी तमाम व्यक्तिगत जानकारी कंपनी के पास आ जाती है। इसके बाद उसके जन्म दिन या विवाह की वर्षगांठ आदि पर कंपनी की ओर से बधाई संदेश ग्राहक के पास पहुंचता है। जाहिर है, ग्राहक उसके साथ बंधे रहते हैं।

कॉरपोरेट मंत्र

कंपनियां कर्मचारियों को खुश करने के लिए अपना रही हैं नुस्खे
कर्मचारी हों खुश तो कारोबारी नतीजे भी होते हैं बेहतर
ई मेल से लेकर कार्ड तक का सहारा ले रही है कंपनियां
कर्मचारियों को साथ लेकर चलने के लिए पार्टियों का आयोजन
उत्पाद की बिक्री के बाद भी उपभोक्ताओं से संबंध बनाए रखना चाहती हैं कंपनियां

First Published - July 28, 2008 | 1:05 AM IST

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