सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया समेत दूरसंचार कंपनियों को पिछले 10 साल के वित्तीय ब्योरे पेश करने का आदेश देकर नया मोर्चा खोल दिया है। शीर्ष अदालत ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये के भुगतान के मामले की सुनवाई जुलाई में तय की है।
हाल में अदालत ने कहा था कि सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से 4 लाख करोड़ रुपये का एजीआर बकाया मांगने में उसे कोई तुक नजर नहीं आता है। इसके चलते दूरसंचार विभाग ने अपनी ज्यादातर मांग वापस ले ली है। विभाग ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने गेल और पावर ग्रिड कॉर्प जैसी गैर-दूरसंचार कंपनियों से 4 लाख करोड़ रुपये की मांग में से 96 फीसदी वापस लेने का फैसला किया है।
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायामूर्ति अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नजीर और एम आर शाह के एक पीठ को बताया कि दूरसंचार विभाग ने मांग वापस ले ली है और एक हलफनामा सौंपा है, जिसमें इन पीएसयू से एजीआर की मांग की वजह बताई
गई हैं। शीर्ष अदालत ने 11 जून को दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया था कि वह पीएसयू से एजीआर वसूली की अपनी मांग पर पुनर्विचार करे। उच्चतम न्यायालय के 24 अक्टूबर के आदेश के मुताबिक इन पीएसयू को न केवल दूरसंचार से संबंधित राजस्व बल्कि कुल राजस्व पर बकाया लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क चुकाने को कहा गया था।
दूरसंचार विभाग ने गेल से 1.83 लाख करोड़ रुपये और ओआईएल को 48,489 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था। इन कंपनियों द्वारा तीसरे पक्ष को लीज पर दिए गए सरप्लस बैंडविड्थ पर बकाये की गणना के लिए उनके तेल एवं गैस कारोबार के राजस्व को भी शामिल किया गया। पावर ग्रिड से 21,953.65 करोड़ रुपये और गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर ऐंड केमिकल्स लिटिमेड से 15,019.97 करोड़ रुपये के एजीआर की मांग की गई। रेलटेल और दिल्ली मेट्रो से भी एजीआर की मांग की गई।
दूरसंचार विभाग ने दो दूरसंचार ऑपरेटरों- भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की तरफ से दायर हलफनामों पर जबाव देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से समय मांगा है।
वोडाफोन इंडिया का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी ने दूरसंचार विभाग को पहले ही 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। रोहतगी ने कहा कि कंपनी की मौजूदा वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह किसी तरह की बैंक गारंटी देने की स्थिति में नहीं है। वोडाफोन आइडिया पर करीब 53,000 करोड़ रुपये की देनदारी है। 6 मार्च को कंपनी ने कहा कि उसके ऊपर सरकार का करीब 21,533 करोड़ रुपये बकाया हैं, जबकि दूरसंचार विभाग के आकलन के अनुसार कंपनी पर अनुमानित 53,000 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। कंपनी ने कहा कि एजीआर मद में उसने दूरसंचार विभाग को 3,354 करोड़ रुपये भुगतान कर दिए हैं।
इससे पहले कंपनी ने 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। भारती एयरटेल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसे एजीआर के मद में बकाया रकम का भुगतान 20 वर्षों में किए जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। कंपनी ने कहा कि वह दूरसंचार क्षेत्र की एक स्थापित कंपनी है और इस लिहाज से उसकी विश्वसनीय पर विचार किया जा सकता है। एक संयुक्त शपथपत्र में भारती एयरटेल और भारती हेक्साकॉन ने कहा कि उन्होंने दूरसंचार विभाग को पहले ही 18,004 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। शपथपत्र में कहा गया है कि यह रकम विभाग को आदेश के अनुसार सभी कंपनियों से मिलनेे वाली रकम का 62 प्रतिशत है।
दोनों कंपनियों ने कहा कि प्रस्तावित 20 वर्षों की अवधि के दौरान उनसे कोई अतिरिक्त सुरक्षा रकम नहीं ली जानी चाहिए। दूरसंचार विभाग के पास इन दोनों कंपनियों की तरफ से 10,800 करोड़ रुपये रकम गारंटी के तौर पर मिली हुई है।उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर 2019 को एजीआर पर दूरसंचार विभाग की परिभाषा बरकरार रखी थी और इसके साथ ही सरकार और दूरसंचार कंपनियों के बीच 14 वर्षों से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया था। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार 16 कंपनियों पर एजीआर मद में सरकार का 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं। इनमें कई कंपनियां अपना कारोबार समेट चुकी हैं या दूसरों को बेच चुकी है या फिर दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही हैं।