इंटरनेट और ई-कॉमर्स से सूचना की दुनिया में ही क्रांति नहीं आई है, बल्कि पार्सल और चिठ्ठियों का संसार भी इसके कारण तेज हो गया है।
महानगरों, प्रमुख औद्योगिक शहरों और छोटे शहरों में तेज औद्योगिकीकरण से निर्यात को बढ़ावा मिला है। निर्यात और इंटरनेट के बढ़ने से कूरियर का कारोबार पिछले पांच साल में लगभग ढाई गुना बढ़ गया है। इस समय कूरियर इंडस्ट्री का कारोबार 4000 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 9500 करोड़ रुपये हो गया है।
देश का कूरियर कारोबार सालाना 28 से 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इस बाबत ब्लू डार्ट के मार्केटिंग और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन प्रमुख केतन कुलकर्णी का कहना है कि भारत के निर्यात में पिछले पांच सालों में प्रतिवर्ष 20 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हुई है। इतनी बड़ी मात्रा में निर्यात के बढ़ने के कारण हमें सूचनाओं को तेजी से पहुंचाने वाले तंत्र की जरूरत होती है।
ऐसे में इंटरनेट एक ऐसा साधन है जिसके जरिये हम दूसरों से पहले उपभोक्ता तक पहुंच सकते है। इस समय इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज (ईडीआई), ई-कॉमर्स और एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) के जरिये सूचनाओं का भारी संख्या में आदान-प्रदान किया जाता है। बाजार में इस वक्त मुकाबला और कड़ा हो गया है। ऐसे में तकनीक के ऊपर ही कूरियर कंपनियों का भविष्य टिका हुआ है।
कूरियर क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय कंपनी यूपीएस जेटायर एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड की संयुक्त कंपनी एएफएल विज प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रंबधक संजय राय ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इंटरनेट और ई-कॉमर्स के जरिये कूरियर कारोबार में कंपनियों द्वारा सूचनाओं के ऊपर आने वाले खर्च में भारी कमी आई है। यही नहीं इंटरनेट और ई-कॉमर्स के कारण पार्सल को लक्ष्य तक पहुंचाने में समय की भी काफी बचत होती है।
गौरतलब है कि एटी कियर्नी की रिर्पोट के मुताबिक देश के कूरियर कारोबार का लगभग 55 से 60 फीसदी हिस्सा संगठित कंपनियों के हाथों में है। इसलिए इस क्षेत्र में काम करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां इंटरनेट की नई तकनीक का अपने काम में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि अंसगठित क्षेत्र की कंपनियां भी प्रतिस्पर्धा से भरे इस बाजार में अपने आपको तकनीकी रूप से मजबूत बनाना चाहती है। इसलिए सभी कंपनियां इंटरनेट की सुविधा का भरपूर इस्तेमाल कर रही हैं।