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डाबर बजा रही है स्वाद के बाजार में स्वास्थ्य का बिगुल

Last Updated- December 07, 2022 | 3:44 AM IST

गैर कैंसर दवाओं के अपने कारोबार को पिछले साल अलग करने के बाद डाबर समूह ने हाल ही में जर्मन के स्वास्थ्य देख-रेख समूह फ्रेसेनियस की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी फ्रेसेनियस काबी में डाबर फार्मा की अपनी पूरी हिस्सेदारी को मिला दिया।


जब भारत में फार्मा क्षेत्र तेजी की उम्मीद लगाए हुए है, ऐसे में डाबर समूह के लिए उसका यह कदम एफएमसीजी क्षेत्र में अपनी दावेदारी को और मजबूत करने की इच्छा ओर संकेत देते हैं। एफएमसीजी क्षेत्र इस वित्त वर्ष में 16 प्रतिशत की तेज रफ्तार से विकास कर रहा है, जबकि इस वर्ष में फार्मा क्षेत्र की रफ्तार 12 प्रतिशत ही है।

कंपनी की योजना

डाबर के वाइस चेयरमैन अमित बर्मन का कहना है, ‘हमने डाबर फार्मा को इसलिए बेच दिया क्योंकि हम अपने सभी प्रयास एफएमसीजी में लगाना चाहते हैं। साथ ही अब हमारे पास डाबर समूह के लिए विशेष योजनाएं हैं, जैसे कि हम प्रमुख कंपनी बनना चाहते हैं और न कि बड़े बाजार की कंपनी, जिसका मतलब है कि हमें अपनी रणनीति और ब्रांड की स्थिति पर काम करना होगा।’

कंपनी के लिए ब्रांड की स्थिति पर काम करने का मतलब आगे अपने उत्पादों को स्वास्थ्य के मद्देनजर बाजार में पेश करना है, जिसमें कंपनी पहले ही अपने उत्पादों च्यवनप्राश, हाजमोला और पुदीनहरा के साथ मौजूद है। अब कंपनी अपने रियल एक्टिव ब्रांड के साथ तेजी से बाजार का रुख कर रही है।

बर्मन के अनुसार रियल एक्टिव कंपनी का जूस उत्पाद बाजार को कंपनी की ओर से जवाब है। उनका कहना है, ‘जूस आज एक उत्पाद बन कर रह गएहैं, बजाय हेल्थ ड्रिंक के। और यही खांचा है, जिसे हम तोड़ना चाहते हैं।’

हेल्थ है हमारा मंत्र

बर्मन का मानना है कि कोका कोला के मिनट मेड को इस तरह से प्रचारित-प्रसारित किया गया है कि वह संतरे के गूदे के साथ एक हेल्थ ड्रिंक लगता है। उनका मानना है कि सच्चाई तो यह है कि इस पेय में सिर्फ 10 प्रतिशत संतरे का रस है और बाकी पानी और चीनी है। पेपसीको के ट्रॉपिकाना की बिक्री पहले ही दोगुनी हो चुकी है। बर्मन का कहना है, ‘हमारी योजना फलों के उत्पादों के खेल से बाहर निकल कर हेल्थी जूस और अन्य उत्पादों के बाजार में उतरने की है।’

जूस के अलावा भी है चीजें

जूस के अलावा कंपनी अपना ध्यान त्वचा की देखभाल, शैम्पू, घर की देखभाल और खाने के सामान के वर्ग पर भी दे रही है। पहले ही एसी नीलसन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डाबर का त्वचा देखभाल वर्ग 37.1 प्रतिशत की वृध्दि के साथ अप्रैल- दिसंबर 2007 के लिए तेजी से बढ़ते हुए देश के त्वचा देखभाल के वर्ग में प्रमुख रहा है।

कंपनी के इस वर्ग ने कुल 13.5 प्रतिशत की इस वर्ग की वृध्दि को भी पीछे छोड़ दिया है। लेकिन डाबर की नजर शैम्पू के बाजार पर भी है। कंपनी इस मत से इस वर्ग में आयुर्वेदिक उत्पादों के वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास पर निवेश कर रही है- कि अभी तक किसी अन्य बहु-राष्ट्रीय कंपनी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया है।

खुदरा बाजार में अपनी मौजूदगी को और बढ़ाना भी कंपनी की फेहरिस्त में शामिल है। बर्मन मानते हैं कि डाबर की वितरण प्रणाली उसके खाद्य उत्पादों को दूर-दराज के इलाकों में पहुंचने नहीं देती। उन्हें उम्मीद है कि इस मामले को नई कंपनी संभाल लेगी। बर्मन ने कहा, ‘हमने डाबर इंडिया में ही डाबर के सभी खाद्य उत्पादों और डाबर की अन्य सहायक कंपनियों को शामिल कर लिया है।

इसका मतलब है कि हर चीज हर उस वितरण माध्यम के तहत वितरित की जाएगी, जिस तक डाबर इंडिया की पहुंच होगी।’ एफएमसीजी से रिटेल तक कंपनी की रफ्तार तर्कसंगत होगी।

बर्मन याद करते हैं जब समूह को रिटेल क्षेत्र में मौका दिखाई दिया था और उसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने स्वास्थ्य और सुंदरता के वर्ग में अपने नए यू स्टोरों के साथ कदम रखा था। बर्मन का कहना है, ‘चूंकि यह हमारे लिए एक दम नया कारोबार है, हमने इसमें एक कंपनी की तरह निवेश किया और हम पहले ही 350 में से 5 आउटलेट खोल चुके हैं।’

First Published - June 5, 2008 | 2:21 AM IST

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