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दायची सांक्यो को अधिग्रहण के बाद मिलेगा पेटेंट का फायदा

Last Updated- December 07, 2022 | 6:00 AM IST

भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा रैनबैक्सी को खरीदने जा रही दायची सांक्यो पेटेंट प्राप्त दवाओं की दौड़ में भी अन्य भारतीय कंपनियों से आगे निकल जाएगी।


ईवैल्यूसर्व की ओर से जारी एक अध्ययन ‘ पेटेंटिंग लैंडस्केप इन इंडिया’ जाएगी में बताया गया है कि भारत की प्रमुख घरेलू दवा कंपनियों की ओर से जमा कराए गए कुल आवेदनों में से अकेले रैनबैक्सी ने ही 23 प्रतिशत आवेदन किए हैं।

यह प्रतिशत बढ़कर 34 तक पहुंच सकता है, अगर इसमें ऑर्किड की ओर से जमा कराए गए पेटेंट आवेदनों को भी शामिल कर लिया जाए, जिसमें रैनबैक्सी की 14.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। ईवैल्यूसर्व अध्ययन में यह भी बताया गया है कि रैनबैक्सी 2005-07 के दौरान प्रमुख 200 पेटेंट आवेदनकर्ताओं की सरगना भी है।

इस अवधि के दौरान रैनबैक्सी ने 320 आवेदन जमा कराए, जबकि डॉ. रेड्डीज 315 आवेदन जमा करा कर दूसरे और ऑर्किड 149 आवेदन जमा करा कर तीसरे स्थान पर है। रैनबैक्सी के अधिग्रहण के साथ ही दायची भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग की सबसे अधिक पेटेंट जमा कराने वाली दो कंपनियों पर नियंत्रण प्राप्त करने में सफल हो जाएगी।

मुंबई के एक पेटेंट विशेषज्ञ का कहना है, ‘आवेदन करने का मतलब पेटेंट हासिल करना नहीं होता, इसलिए आवेदन का चलन काफी अधिक है। दायची जो अभी तक भारतीय कार्यालय में पेटेंट के लिए प्रमुख 200 आवेदनकर्ताओं में शामिल नहीं है, इस अधिग्रहण के बाद आने वाली दवाओं के लिए पेटेंट प्राप्त करने की दौड़ में आगे निकल जाएगी।’ उनके अनुसार यह आंकड़े साफ तौर पर संकेत करते हैं कि कैसे भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण बौध्दिक संपदा मामलों से जुड़े हो सकते हैं।

भारतीय फार्मा कंपनियों के मुकाबले विदेशी फार्मा कंपनियां पेटेंट के लिए आवेदन करने के मामले में उनसे काफी आगे हैं। ईवैल्यूसर्व के अध्ययन के अनुसार 2005-07 में प्रमुख 50 पेटेंट आवेदनकर्ताओं में रैनबैक्सी का स्थान 37वां था। बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे कि फाइजर, नोवो, नॉर्डिस्क, एस्ट्राजेनेका, सनोफी एवेंतिस, नोवार्तिस, मर्क और रोके ने भारतीय कंपनी रैनबैक्सी से अधिक पेटेंट प्राप्त करने के लिए आवेदन किए।

ईवैल्यूसर्व के अध्ययन में कंपनियों की ओर से पेटेंट के लिए आवेदन करने का चलन भी काफी दिलचस्प दिखाई देता है। कंपनियों ने अलग-अलग जगहों के लिए पेटेंट प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है। कई कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय पेटेंटों के लिए आवेदन किया, जबकि कुछ कंपनियों ने भारत को ही चुना। अंतरराष्ट्रीय पेटेंटों के लिए जमा किए गए आवेदनों के लिए रैनबैक्सी का यह आंकड़ा डॉ. रेड्डीज से चार गुना से भी अधिक हो जाता है।

First Published - June 16, 2008 | 11:58 PM IST

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